यूनियन कार्बाइड की ज़हरीली गैस को तो हरा दिया लेकिन कोरोना से हार गए भोपाल के गैस पीड़ित - Khabri Guru

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यूनियन कार्बाइड की ज़हरीली गैस को तो हरा दिया लेकिन कोरोना से हार गए भोपाल के गैस पीड़ित


भोपाल.भोपाल में साल 1984 की 2 और 3 दिसंबर की दरमियानी रात जिन लोगों ने यूनियन कार्बाइड से निकली जहरीली गैस (Bhopal gas Tragedy) को मात दी थी, वह कोरोना (corona) के आगे जिंदगी हार गए.कोरोना वायरस का इंफेक्शन गैस पीडि़तों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है.यही वजह है की दूसरी बीमारियों को हराते हराते गैस पीड़ित अपनी जिंदगी हारते जा रहे हैं और इस बात का खुलासा गैस पीडि़त संगठनों की एनालिसिस रिपोर्ट से हुआ है.भोपाल में कोरोना के कारण जिन लोगों की मौत हुई उनमें 75 फीसदी मृतक गैस पीड़ित थे.
सीएम को सौंपी रिपोर्ट
कोरोना के कारण राजधानी में मृतकों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. कोरोना अपना असर ज्यादातर गैस पीड़ितों पर डाल रहा है. ये बात रिपोर्ट में बताई गई है.रिपोर्ट में 6 अप्रैल से 11 जून के बीच हुई 60 मौतों का ज़िक्र किया गया है, जिसमें से 48 मृतक गैस पीडि़त हैं.गैस पीड़ित संगठनों ने एकजुटता के साथ ये रिपोर्ट मुख्यमंत्री को देते हुए आरोप लगाए हैं कि विभाग शहर के 6.5 लाख गैस पीडि़तों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. इसका खामिजाया पीड़ितों को अपनी जान गंवा कर भुगतना पड़ रहा है.रिपोर्ट के मुताबिक गैस पीडि़त मरीज लंग्स इंफेक्शन के साथ कई अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. क्योंकि कोरोना का इंफेक्शन सांस संबंधी बीमारी से ग्रस्त लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है इसलिए गैस कांड के पीड़ित बड़ी संख्या में इस वायरस के शिकार बनते जा रहे हैं. यही कारण है कि कोरोना का संक्रमण गैस पीड़ितों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है.
रिपोर्ट में खुलासा
रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना से मरने वाले मरीजों में 81 प्रतिशत दूसरी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे.एक्सपर्टस का कहना है उम्र के साथ गैस पीडि़तों की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है. ऐसे में वायरस ज्यादा घातक हो जाता है.गैस संगठन की प्रतिनिधि रचना ढींगरा ने बताया कि कोरोना के कारण 35 से 40 उम्र के बीच के 9 लोगों मौत हुई है. 41 से 59 उम्र के बीच 14 लोगों की मौत हुई. 60 साल से अधिक उम्र के 25 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.केस हिस्ट्री देखी जाए तो 75 फीसदी मृतक गैस पीडि़त हैं.5 फीसदी मृतक गैस पीडि़तों के बच्चे हैं.87 फीसदी मौत हमीदिया अस्पताल में हुई हैं.75 प्रतिशत गैस पीडि़त भर्ती के पांच दिन में अपनी जान खो चुके हैं.81 फीसदी मृतक अन्य पुरानी बीमारियों से ग्रसित थे.लोगो की जान जाने का एक बड़ा कारण ये भी है की बीएमएचआरसी में जांच नहीं हो रही है.बीएमएचआरसी गैस पीड़ितो के लिए बनाया गया अस्पताल है और अगर वहीं लोगो को इलाज मुहैया नहीं हुआ तो इलाज के लिए पीड़ितों को दर-दर की ठोकर खानी पड़ीं.जब तक इलाज मिलता ट्रीटमेंट का वक्त निकलता चला गया.
सीएम को लिखा पत्र
जबलपुर हाइकोर्ट ने बीएमएचआरसी को आदेश दिया है कि वो अस्पताल में आने वाले हर गैस पीडि़त की कोरोना जांच करेगा.कोरोना वायरस के अटैक में गैस पीडि़तों की हालत को देखते हुए पांच गैस पीडि़त संगठनों ने सरकार से मांग की है कि 5 लाख 21 हजार पीड़ितों को स्थाई तौर पर पीड़ित मानकर सम्मानजनक मुआवजा दिलाया जाए.इसके साथ ही संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में लंबित सुधार याचिका में सही आंकड़े रखने की मांग सीएम शिवराज से की है.ये मांग पत्र लिखकर सीएम से की गई है.

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