उन्होंने कहा कि मैं मैहर से आ रहा हूं। वहां के पत्रकार राजकुमार अग्रवाल का यहीं जबलपुर में निधन हुआ। मैंने पूछा क्या हुआ था, परिवार के लोगों ने बताया कि नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने से मौत हो गई। ये एमपी में हो क्या रहा है, शिवराज जी? एक नया कोविड माफिया शुरू हुआ है। क्या भाजपा के नेता चंदा लेंगे? चंदा दिलवाएंगे। ऊपर से कुछ और ले लेंगे, जो जबलपुर में हुआ, जो रेडक्रास का चक्कर है। बेड के लिए 10 हजार, ऑक्सीजन के लिए इतना रेट फिक्स किया जा रहा है। 10 हजार रुपए दो तो किसी को लगाया हुआ ऑक्सीजन निकाल कर दे देंगे। इंजेक्शन के लिए इतने रेट।
कितनी लाशें श्मशानघाट व कब्रिस्तान में पहुंची
कमलनाथ ने कहा कि मैंने तो हफ्ते भर पहले उज्जैन में पूछा था कि एक लाख 27 हजार लाशें श्मशान घाटों व कब्रिस्तानों में आई हैं। कोविड से कितनी मौत हुई, ये प्रश्न नहीं है। ये जो फर्जी आंकड़े दे रहे हैं। मेरा प्रश्न सीधा शिवराज जी से है कि कितनी लाशें श्मशान घाट व कब्रिस्तान में पहुंची। आम जनता खुद तय कर लेगी। कितनी मौत कोविड के कारण थी। ये आंकड़े देने में उन्हें क्या समस्या है? इतने दिनों से मांग रहा हूं।
बहुत सारी लाशों का पंचायतों और खेतों में अंतिम संस्कार हो गया। उनका कोई रिकॉर्ड नहीं। अब मैं अपना रिकॉर्ड सुधार रहा हूं कि डेढ़ लाख लाशें शमशान घाट व कब्रिस्तान में गईं। ये कहें कि नहीं गईं। चलो पूरे एमपी का नहीं बता सकते तो दो जिले के आंकड़े दे दें। आम जनता जानना चाहती है कि कितने लोगों की मौत हुई?
चुनाव के चलते युवाओं को वैक्सीन लगाने की घोषणा कर दी
पूर्व सीएम कमलनाथ ने केंद्र सरकार के वैक्सीनेशन को भी कटघरे में खड़ा किया। बोले कि ये बता दें कि कितने लोगों को वैक्सीन मिल रही है। पांच राज्यों के चुनाव में वोट लेना था तो 18 से 45 वर्ष की उम्र वालों के लिए वैक्सीनेशन की घोषणा कर दी और वैक्सीन का ऑर्डर अब हो रहा है। जब घोषणा की, तब वैक्सीन नहीं थी। आपने तो छह करोड़ 60 लाख वैक्सीन एक्सपोर्ट कर दी। ये मेरे आंकड़े नहीं ये केंद्र सरकार के आंकड़े हैं।
बेरोजगारों की सरकार को नहीं चिंता
कमलनाथ ने कहा कि ये मेरे प्रदेश को कहां घसीटा जा रहा है। मुझे सबसे अधिक चिंता नौजवानों का है। जो हमारे मप्र का भविष्य में निर्माण करेंगे। रोजगार मिलना तो छोड़ो, आज जो रोजगार में था, वो बेरोजगार हो रहा है। मीडिल क्लास लोवर क्लास में जा रहा है। लोवर क्लास गरीब क्लास में जा रहा है और गरीब क्लास भिखारी बन रहा है।
सच्चाई पहचानिए, सच्चाई का साथ दीजिए
अर्थव्यवस्था चैपट हो रही है। हमारी आर्थिक गतिविधियां चैपट हो रही है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था 70 प्रतिशत कृषि क्षेत्र पर आधारित है। पर उपार्जन में कितनी अव्यवस्था है। किसानों को क्या मूल्य मिला। एमपी के लोगों से यहां की जनता से एक ही प्रार्थना है कि आप कांग्रेस का साथ मत दो, आप कमलनाथ का साथ भी मत दो। आप सच्चाई देख लो, सच्चाई का साथ दो। सच्चाई पहचानिए, सच्चाई अपनाइए और सच्चाई का साथ दीजिए।
बैकफुट व फ्रंटफुट की राजनीति नहीं करता
कमलनाथ ने कहा कि मैने कभी बैकफुट व फ्रंटफुट की राजनीति नहीं की है, लेकिन कोर्ट में क्या हुआ? विभिन्न संस्थाओं का क्या हुआ? आज पूरा विश्व भारत की प्रजातंत्र पर हंस रहा है। हम कहते थे कि मेरा भारत महान, अब तो मेरा भारत बदनाम। क्योकि भारत प्रसिद्ध हो रहा है कोविड से। ये इंडिया कोविड है, यह मैंने नहीं बल्कि डब्ल्यूएचओ ने कहा है और ब्रिटेन के पीएम बोरिस जानसन ने कहा है। विश्व के अखबार भी यही लिख रहे हैं।
केंद्र सरकार ने खुद सुप्रीम कोर्ट में दिए अपने हलफनामा में इंडिया कोविड लिखकर दिया है। अब ब्लैक फंगस के रूप में नई मुसीबत सामने है। एलोपैथी व आयुर्वेद की सर्वोच्चता को लेकर किए जा रहे दावे और चैलेंज पर कहा कि दोनों पैथी में कोई लड़ाई नहीं है। आयुर्वेदा व योगा हमारे देश की संस्कृति से जुड़ा है। गांव में आज भी वैद्य इलाज कर रहे हैं। गांव के लोग शहर के अस्पताल में नहीं जा रहे हैं।
कांग्रेस को लज्जा या शर्म नहीं आती-शिवराज
कमलनाथ के आरोपों पर सीएम शिवराज सिंह ने करारा पलटवार किया। कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी से सीधे सवाल पूछा क्या आप कमलनाथ के बयान से सहमत है, जो कह रहे हैं कि भारत बदनाम है। क्या कांग्रेस को लज्जा या शर्म नहीं आती? लगता है सत्ता जाने के बाद कमलनाथ ने मानसिक संतुलन खो दिया है। जाको प्रभु दारुण दुख देही बाकी मती पहले हर लेही।विनाशकाले विपरीत बुद्धि। क्या अपने देश को बदनाम कहना देश के साथ गद्दारी नहीं है? क्या ये कांग्रेस की सोच है? मैडम सोनिया गांधी जी, मौन तोड़ना पड़ेगा, आप साफ करो, या तो कमलनाथ गलत हैं, तो पार्टी से बाहर करो या फिर ये कह दो कि मैं कमलनाथ के बयान से सहमत हूं। ये वो कमलनाथ हैं, जो कहते हैं कि प्रदेश में आग लगा दो। महासंकट से प्रदेश जूझ रहा है। हम जनता के साथ मिलकर दिन-रात कोरोना संक्रमण रोकने में लगे हैं और वे बेशर्मी दिखा रहे हैं।