लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे ठीक पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। यूपी में कांग्रेस के बड़े नेता और राहुल गांधी के करीबी जितिन प्रसाद ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। बीजेपी मुख्यालय पर पीयूष गोयल ने जितिन प्रसाद को पार्टी की सदस्यता दिलाई। कांग्रेस में जितिन का कद काफी बड़ा था। वह केंद्र की मनमोहन सरकार में मंत्री रहे। हाल में पश्चिम बंगाल और अंडमान निकोबार के प्रभारी रहे, लेकिन पिछले कुछ सालों में जितिन का प्रभाव सिमटता चला गया। यहां तक कि वह अपने इलाके और अपनी सीट भी नहीं संभाल सके। वे लगातार दो बार लोकसभा और एक बार विधानसभा चुनाव हार गए। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि जितिन के आने बीजेपी को पश्चिम में एक नया ब्राह्मण चेहरा जरूर मिल गया है।
संगठन में भी फेल हुए जितिन
संगठन की जिम्मेदारी लेकर भी जितिन सफल नहीं रहे। इनके प्रभारी रहते ही हाल के पश्चिम बंगाल चुनावों में कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया हो गया। 44 सीटों से कांग्रेस जीरो पर आ गई। अब यूपी में जितिन की परफॉर्मेंस की बात करें तो यहां भी वह कुछ खास कमाल नहीं कर पाए। पिछले तीन बार से लगातार चुनावों में उन्हें करारी शिकस्त मिल रही है। ये ट्रैक रिकॉर्ड इस बात को भी बताता है कि शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, बरेली समेत रूहेलखंड के इलाके में जो जनाधार उनके पिता जितेंद्र प्रसाद और कांग्रेस ने बनाया था, वो लगभग खत्म सा हो गया है।
राहुल कैम्प का दूसरा विकट गिरा
ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, सचिन पायलट और मिलिंद देवड़ा- ये वो 4 नाम हैं जो सालों तक राहुल गांधी के करीबी रहे। राहुल गांधी की युवा टीम को लेकर जब भी चर्चा होती, इनका जिक्र जरूर आता, लेकिन ये टीम बिगड़नी शुरू हुई 2019 आम चुनाव के बाद, जब ज्योतिरादित्य गुना से लोकसभा चुनाव हार गए। इसके बाद वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए। हालांकि इसके बाद हुए उपचुनावों में भाजपा को मध्य प्रदेश में कोई खास फायदा नहीं हुआ। हाल में भाजपा दमोह चुनाव भी हार गई।