
जबलपुर। वह द्वारका और ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज का 99 साल की उम्र में निधन हो गया है। उनका निधन मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले केे परमहंसी गंगा आश्रम श्रीधाम में हुआ। वह काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे। कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपना 99वां जन्मदिन धूमधाम के साथ मनाया था। 2 सितंबर 1924 को उनका जन्म मध्य प्रदेश में सिवनी में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताया है। उन्होंने लिखा कि द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। शोक के इस समय में उनके अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदनाएं। गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा कि द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी सनातन संस्कृति व धर्म के प्रचार-प्रसार को समर्पित उनके कार्य सदैव याद किए जाएँगे।
मुख्यमंत्री ने दुख जताया
शंकराचार्य स्वरूपानंद के निधन पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने दुख जताया है। उन्होंने लिखा कि पूज्य शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी सनातन धर्म के शलाका पुरुष एवं सन्यास परम्परा के सूर्य थे। शिवराज ने लिखा कि भारतीय ज्ञान परम्परा में आपके अतुलनीय योगदान को अखिल विश्व अनंत वर्षों तक स्मरण रखेगा।
कमलनाथ का ट्वीट
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा कि अभी कुछ दिन पूर्व ही शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के 99वें प्राकट्योत्सव एवं शताब्दी प्रवेश वर्ष महोत्सव में शामिल होकर उनके श्रीचरणो में नमन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य मिला था। गुरु जी का आशीर्वाद व स्नेह हम सभी पर सदैव रहा है। गुरु जी ने जीवन पर्यन्त धर्म, जनसेवा, समाज कल्याण, परोपकार, मानवता के कई उल्लेखनीय कार्य किये है। उनका जाना धर्म के क्षेत्र की एक ऐसी क्षति है जो अपूरणीय है।
स्वतंत्रता संग्राम में भी योगदान
देश की आजादी के लिए शंकराचार्य स्वरूपानंद ने अंग्रेजों का भी सामना किया था। उनका बचपन का नाम पोथीराम था। उन्होंने काशी में करपात्री महाराज से धर्म की शिक्षा ली थी। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय वह भी आंदोलन में कूद पड़े थे। उन्हें दो बार जेल भी जाना प ड़ा। साल 1989 में उन्हें शंकराचार्य की उपाधि मिली थी। जानकारी के मुताबिक वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
बेबाकी के लिए जाने जाते थे शंकराचार्य
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते थे। उन्होंने राम मंदिर ट्रस्ट को लेकर सरकार भी सवाल खड़े कर दिए थे। उन्होंने कहा था कि भगवा पहन लेने से कोई सनातनी नहीं बनता। उन्होंने कहा था कि जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट में कोई भी ऐसा शख्स नहीं है जो कि प्राण प्रतिष्ठा कर सके। उन्होंने धन को लेकर भी ट्रस्ट पर सवाल खड़े किए थे।
राम मंदिर के लिए भी लड़ी लड़ाई
स्वरूपानंद सरस्वती हिंदुओं के सबसे बड़े धर्मगुरु थे। राम मंदिर के लिए भी उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी। उनके निधन के बाद आश्रम में लोगों को जमावड़ा शुरू हो गया है। बताया जा रहा है कि जिस वक्त उन्होंने प्राण त्यागे. उनके शिष्य ही वहां मौजूद थे।