फर्रुखाबाद। देश के सबसे बड़े सूबे में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव होने वाले हैं और इससे पहले राजनीतिक दलों में दल-बदल का खेल शुरू हो चुका है। अब हाल ही में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की पूर्व बहू मोनिका यादव ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामते हुए जिला पंचायत के लिए बीजेपी से समर्थन लिया है। बता दें, मोनिका यादव की शादी सपना नेता धर्मेंद्र यादव से हुई थी लेकिन दोनों की शादी ज्यादा दिनों तक टिक नहीं सकी और संबंध हमेशा के लिए टूट गए। पूर्व वधू के इस कदम के पीछे माना जा रहा है कि वह सपा पार्टी से नाराज चल रही थी और इसी कारण उन्होंने बीजेपी में शामिल होने का फैसला किया।
कौन है मोनिका यादव?
सपा खानदान की पूर्व वधू मोनिका यादव फर्रुखाबाद के एक बड़े राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखती हैं। मोनिका के पिता नरेंद्र सिंह यादव समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री थे। मोनिका की शादी मुलायम सिंह यादव के भतीजे और पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव से हुई थी लेकिन दोनों की शादी बहुत कम समय में ही टूट गई। कहा जा रहा है कि, मोनिका अपनी पार्टी से नाराज चल रही थी क्योंकि पार्टी ने उन्हें जिला पंचायत अध्यक्ष का प्रत्याशी नहीं बनाया और इसी कारण उन्होंने सपा के साथ बागी होने का फैसला करते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया।
बता दें, समाजवादी पार्टी ने पूर्व वधू मोनिका यादव को प्रत्याशी न बनाकर मुलायम सिंह यादव के भाई रामगोपाल यादव के करीबी कहे जाने वाले सुबोध यादव को पंचायत चुनाव में उम्मीदवार बनाया। जिससे मोनिका यादव खफा हो गई और इसी वजह से उन्होंने बीजेपी से समर्थन मांगा और पार्टी ने उन्हें निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर समर्थन दिया है। मोनिका यादव के बीजेपी में शामिल होने से सपा पार्टी में हलचल तेज हो गई है और उनका ये फैसला भविष्य में सपा पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत भी बन सकता है।
बीजेपी ने खेला दांव
केंद्र में भले ही बीजेपी की सरकार हो लेकिन जिला पंचायत में बीजेपी के सिर्फ 4 सदस्य ही चुनाव जीत पाए हैं। ऐसे में बीजेपी की स्थिति बेहद खराब थी और जब उनसे मोनिका यादव ने समर्थन मांगा तो पार्टी ने दांव खेलते हुए उन्हें शामिल कर लिया। अब देखना यह होगा कि, फर्रुखाबाद में ज़िला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी किसे मिलेगी। एक तरफ सपा पार्टी का प्रत्याशी है तो दूसरी तरफ सपा के विद्रोही प्रत्याशी है। हालांकि, बीजेपी ने जो दांव मोनिका यादव पर खेला है उसमें वह जीत हासिल करने के लिए पूरा जोर लगाएंगे तो सपा पार्टी भी अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेगी।
