पीएम के 32 मिनट : 2 सौगात, 3 मुद्दों पर खुद की तारीफ, 3मुद्दों पर विपक्ष को घेरा, - Khabri Guru

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पीएम के 32 मिनट : 2 सौगात, 3 मुद्दों पर खुद की तारीफ, 3मुद्दों पर विपक्ष को घेरा,

दिल्ली। सोमवार को दोपहर बाद सारे देश में तीन घंटे तक कयासों का दौर चलता रहा। दोपहर 2 बजे पीएमओ का ट्वीट आया कि प्रधानमंत्री शाम 5 बजे देश को सम्बोधित करेंगे। इस बात को लेकर सोशल मीडिया पर भी सुगबुगाहट चलती रही। शाम बजे से मिनट के अनवरत संबोधन में पीएम नरेंद्र मोदी ने दो सौगातें देशवासियों को दीं। इस दौरान उन्होंने 3 मुद्दों पर खुद की पीठ थपथपाई तो 3 मुद्दों पर विपक्ष को घेरने की कोशिश भी की। पीएम का कोरोना काल में यह 9वां संबोधन था, जो कि इस बार 42 दिन बाद हुआ। पिछली बार पीएम ने 20 अप्रेल को सम्बोधित किया था। खास बात यह रही कि विपक्ष के साथ उन्होंने उनकी छवि बिगाड़ने के लिए मीडिया को भी जिम्मेदार ठहराया।  

ये 2 सौगातें देश के नाम
पहली : 18 साल से बड़े सभी लोगों को 21 जून से अब केंद्र सरकार मुफ्त में कोरोना की वैक्सीन देगी। राज्यों को अब इसके लिए कुछ भी खर्च नहीं करना है। वैक्सीन प्रोडक्शन का 75% केंद्र खरीदेगी और राज्य सरकारों को मुफ्त देगी। किसी राज्य को वैक्सीन पर कोई खर्च नहीं करना होगा। देश में वैक्सीन प्रोडक्शन का 25% प्राइवेट अस्पताल ले सकेंगे। वैक्सीन की कीमतों पर नियंत्रण के लिए तय किया गया है कि प्राइवेट अस्पताल एक डोज पर अधिकतम 150 रुपए ही सर्विस चार्ज ले सकेंगे। इसकी निगरानी का काम राज्य सरकारें करेंगी। 
दूसरी : देश के 80 करोड़ गरीब लोगों को दिवाली तक मुफ्त राशन दिया जाएगा। पहले से चल रही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत नवम्बर तक इसका लाभ मिलेगा। नवम्बर में इस योजना के 8 माह पूरे हो जाएंगे। 

3 मुद्दों पर खुद की तारीफ
पहला: दुनिया के हर कोने से ऑक्सीजन और दवा जुटाई
मोदी बोले- अप्रैल-मई में ऑक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय रूप से बढ़ी। केंद्र ने ऑक्सीजन रेल चलाई, एयरफोर्स और नौसेना को लगाया। लिक्विड ऑक्सीजन प्रोडक्शन में कम समय में 10 गुना बढ़ोतरी की। दुनिया के हर कोने से ऑक्सीजन लाए। जरूरी दवाओं के प्रोडक्शन को कई गुना बढ़ाया। विदेशों में जहां भी दवाइयां थीं, वहां से लाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।

दूसरा: 23 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज दिए 
मोदी ने कहा कि दुनिया भी सोच रही थी कि भारत इतनी बड़ी आबादी को कोरोना से कैसे बचाएगा। हर आशंका को दरकिनार करके भारत में एक साल में ही एक नहीं, दो मेड इन इंडिया वैक्सीन लॉन्च कर दी। आज देश में 23 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज दिए जा चुके हैं।

तीसरा: सवा साल में ही नया हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया
कोरोना बीते 100 साल में आई सबसे बड़ी महामारी है, त्रासदी है।  कोविड अस्पताल बनाने से लेकर आईसीयू बेड्स की संख्या बढ़ाना, वेंटिलेटर बनाने से लेकर टेस्टिंग लैब का नेटवर्क तैयार करना हो, हर मोर्चे पर हमने काम किया। बीते सवा साल में देश में नया हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है।
उन्होंने वैक्सीनेशन पर विस्तार से चर्चा के दौरान तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा शिकार होने की आशंका जाहिर की, पर वैक्सीनेशन के लिए उठाए गए कदमों को गिनाकर इससे निपटने का रास्ता भी बताया। कहा- देश में 7 कंपनियां विभिन्न वैक्सीन का प्रोडक्शन कर रही हैं, ट्रायल कर रही हैं। दूसरे देशों से भी वैक्सीन लाने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। बच्चों के लिए भी दो वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है। नेजल वैक्सीन पर भी रिसर्च जारी है। इसे सफलता मिलती है तो वैक्सीन अभियान में और ज्यादा तेजी आएगी।

विपक्ष को 3 मुद्दों पर घेरा
1. कुछ लोगों ने वैक्सीनेशन पर अफवाहें फैलाईं
प्रधानमंत्री ने कहा जब से भारत में वैक्सीन पर काम शुरू हुआ है तभी से कुछ लोगों ने ऐसी बातें कहीं, जिससे आम लोगों के मन में शंका पैदा हुई। वैक्सीन निर्माताओं का हौसला पस्त करने की कोशिश हुई। इन्हें भी देश देख रहा है। जो लोग अफवाहें फैला रहे हैं, वो भोले-भाले भाई-बहनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। 

2. वैक्सीनेशन पर राज्यों के अधिकार
मोदी ने कांग्रेस शासित राज्यों पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि 16 जनवरी से अप्रैल के अंत तक वैक्सीन कार्यक्रम केंद्र की देखरेख में चल रहा था। सभी लोग वैक्सीन लगवा रहे थे। इसी बीच कई राज्यों ने कहा कि वैक्सीन का काम राज्यों पर छोड़ा जाए। ऐज ग्रुप पर सवाल उठाया कि उम्र की सीमा केंद्र क्यों तय कर रहा है? बुजुर्गों के वैक्सीनेशन पहले करने पर सवाल किए गए। मीडिया के एक वर्ग ने इसे कैंपेन के रूप में चलाया। राज्यों की मांग पर वैक्सीनेशन का 25% काम उनको सौंपा गया। तब उन्हें पता चला कि बड़े काम में कैसी परेशानियां आती हैं। इसके बाद मई का दूसरा सप्ताह बीतते-बीतते राज्य पहली वाली व्यवस्था को अच्छा बताने लगे।

3. लॉकडाउन
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब कोरोना के केस कम हो रहे थे, तो सवाल उठाया गया कि लॉकडाउन पर फैसले का अधिकार राज्यों को क्यों नहीं मिल रहा? कहा गया कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है इसलिए इस दिशा में शुरुआत की गई। हमने एक गाइडलाइन बनाकर राज्यों को दी ताकि वे अपनी सुविधा के अनुसार काम कर सकें। कई जगहों पर कर्फ्यू में ढील दी जा रही है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि कोरोना चला गया है। हमें सावधान रहना है और बचाव के नियमों का सख्ती से पालन करते रहना है। हम जंग जीतेंगे। भारत कोरोना से जीतेगा।

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