जबलपुर। पर्यावरण दिवस पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा पौधारोपण करना, पंचायतों से लेकर नगर निगम तक में मकान के नक्शा स्वीकृति के लिए पौधारोपण की अनिवार्यता बताना, आगामी पीढ़ी के जीवन को पर्यावरण से संरक्षित करने का संदेश देना मात्र एक दिखावा और बेईमानी है।
जब शिवराज सिंह के शासनकाल में जिला छतरपुर के सैकड़ों वर्ष पुराने बक्सवाहा के जंगल में सिर्फ हीरे की चाहत लेकर लाखों वृक्ष कटवाने का निर्णय लिया जाता है तो उन्हें पर्यावरण संरक्षक कैसे माना जायेगा। अर्थात सरकार के खजाने को भरने के लिए कुदरती प्राकृतिक जीवन देने वाली धरोहर व प्राणवायु के संसाधनों को मिटाने और व्यापार करने का निर्णय भाजपा सरकार की अज्ञानता है।
इस विषय पर शहर कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश यादव ने तीखी टिप्पणी करते हुए आरोप लगाया कि उनका पर्यावरण संरक्षण मात्र दिखावा है और झूठे प्रचार प्रसार का नशा हैं। कैसे भूल सकता है प्रदेश ? तीन वर्ष पूर्व भी इस प्रकार का झूठा श्रेय उस वक्त लूटा गया था जब भाजपा की प्रदेश सरकार ने 16 करोड़ पौधे लगाने की महत्वकांक्षी योजना बनाकर अभियान चलाया था। जिसमें आज कहीं कुछ संख्या में भी दिखाई नहीं देते। जीवनदायिनी मां नर्मदा के साथ भी धोखा हुआ। नर्मदा तट में करोड़ों पौधारोपण झूठी घोषणाओं का साक्षी बनकर रह गया ।
शहर अध्यक्ष ने शिवराज सिंह से निवेदन के साथ सलाह दी है कि कुछ नया भले ना करें पर प्राचीन धरोहर को संरक्षित ही रहने दें। क्या हीरों के लिये जीवन दांव पर लगाया जा सकता है ? हीरों की चाहत में जंगल के जीवो के साथ प्रदेशवासियों के सांसे भी टूटेगी। जंगलों में बसने वाले वन्यप्राणी बेवजह मारे जाएंगे। हो सके तो छतरपुर के जंगल को संरक्षित रहने दे। यही बड़ी कृपा होगी।