
भोपाल। युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास से चेतावनी मिलने के बाद कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई ने भी प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत भूरिया के खराब प्रदर्शन पर नाराजगी जताई है। युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं के एक वर्ग ने भी राज्य भर में युवा कांग्रेस की सभी इकाइयों को सक्रिय करने के लिए भूरिया को हटाने की मांग की है।
सूत्रों के अनुसार एक दिन पहले युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को पीसीसी प्रमुख के आवास पर बुलाया गया था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने युवा कांग्रेस द्वारा किए गए कार्यों की विस्तृत रिपोर्ट मांगी। भूरिया द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कई विसंगतियां थी और नाथ ने इसे इंगित किया था। भूरिया पूरे राज्य में युवा कांग्रेस की जिला समितियों का गठन नहीं कर पाए हैं। उनके पदभार संभालने के बाद से लगभग आधे पद खाली पड़े हैं। विक्रांत दिसंबर 2020 में प्रदेश अध्यक्ष चुने गए थे।
वहीं वर्ष 2020 के मध्य प्रदेश में राज्य कार्यकारिणी की एक बैठक हुई जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बी मौजूद थे। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष को लक्ष्य दिया जिसमें संगठन को मजबूत करने के अलावा राज्य भर में 65000 से अधिक बूथ स्तरीय समितियों का गठन शामिल है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास ने भूरिया को बूथ स्तरीय समितियां गठित करने के लिए एक माह का समय दिया था। इस अभियान को 'एक बूथ पांच यूथ' नाम दिया गया। 29 जनवरी को हुई राज्य कार्यकारिणी की बैठक में प्रस्तुत रिपोर्ट कार्ड में कहा गया है कि 65,000 समितियों के लक्ष्य के विरुद्ध केवल 9000 बूथ समितियों का गठन किया गया है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि विक्रांत भूरिया दिग्विजय सिंह के समर्थन के कारण चुने गए थे। बाद में विक्रांत ने वफादारी बदली और पीसीसी प्रमुख कमलनाथ को ज्यादा अहमियत देने लगे। कहा जाता है कि दिग्विजय सिंह ने अपना समर्थन वापस ले लिया था जिसने भूरिया के लिए अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में चुनौतियों का निर्माण किया था।
इसके अलावा भूरिया अब पीसीसी प्रमुख के निशाने पर हैं क्योंकि वह लक्ष्य को पूरा करने में असमर्थ हैं। कमलनाथ ने 2023 के विधानसभा चुनावों की योजना एक युवा टीम को ध्यान में रखकर बनाई है। भूरिया आज तक एक नई युवा टीम का गठन करने में असमर्थ हैं।
जानकारी मिली है कि यूथ कांग्रेस इंदौर के जिलाध्यक्ष से नाराज होकर लगभग 17 पदाधिकारियों ने अपना इस्तीफा सौंपा है। बताया जा रहा है कि यह सभी लोग अपने जिलाध्यक्ष से नाखुश थे। और साथ ही उन्होंने गुटबाजी का भी आरोप लगाया है। ऐसे में यह भी कयास लगाया जा रहा है कि प्रदेश में भी विक्रांत भूरिया के अलावा एक कार्यकारी अध्यक्ष चुना जा सकता है।