जयपुर। पिछले कई महीनों से भाजपा के अंदर चल रही अंतरकलह राजस्थान इकाई के भीतर पार्टी नेताओं के बीच की दरार को न केवल बढ़ा रही है बल्कि केंद्रीय नेतृत्व के लिए चिंता का विषय रही है। पिछले सप्ताह राज्य में हुई राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक के दौरान यह मुद्दा हावी रहा। यही वजह है कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश में इस साल दिसंबर में चुनाव होने हैं लेकिन बीजेपी ने कई कारणों से इन राज्यों के बजाय राजस्थान में अपने पदाधिकारियों की बैठक आयोजित करने का विकल्प चुना।
दरअसल कांग्रेस ने भाजपा सम्मेलन से ठीक दो दिन पहले उदयपुर में अपना चिंतन शिविर आयोजित किया था जिसने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सत्तारूढ़ दल को काफी चर्चा दी। माना जाता है कि कांग्रेस के ईवेंट को कमतर करने के लिए भाजपा ने चुनावी राज्यों को न चुनकर राजस्थान को चुना।
नड्डा ने किए राजस्थान के दौरे
इसके अलावा भाजपा के भीतर की लड़ाई को एक और महत्वपूर्ण कारक कहा जाता है और जयपुर में कॉन्क्लेव आयोजित करने का उद्देश्य दरार से निपटने के लिए एक और अवसर पैदा करना था। इन प्रयासों के तहत, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पिछले कुछ हफ्तों में राज्य के तीन दौरे किए। 19-21 मई तक तीन दिवसीय पदाधिकारियों की बैठक में शामिल होने से पहले वे 10-11 मई को राजस्थान के गंगानगर और हनुमानगढ़ के दो दिवसीय दौरे पर थे।