
जो शख्स अपनी स्पीच खत्म करने के बाद भरी सदन में उनसे ( पीएम से) गले मिले, तो वे मिले हैं या मैं मिला हूं?' उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा अफसोस तो ये है कि चापलूसी करने या ट्वीट करने वालों को पार्टी में पद मिला है। आजाद ने पीएम नरेंद्र मोदी का जिक्र करते हुए उनकी तारीफ की और कहा, 'जिन लोगों को राज्यसभा में पीएम मोदी की स्पीच में कुछ दिखता है वो सही नहीं हैं। अगर कोई इतना अनपढ़ और जाहिल है तो वो मोदी की स्पीच पढ़े। मोदी साहब ने शादी नहीं की, बच्चे नहीं हैं। मैं तो उनको बड़ा क्रूर आदमी समझता था. लेकिन उन्होंने तो इंसानियत दिखाई है।' उन्होंने कहा कि कम से कम मोदी और उनके गृह मंत्री फाइलें तो पढ़ते हैं।
जयराम रमेश के बयान का जवाब
मोडिफाइड हो गया' का जवाब देते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'पहले वे (जयराम रमेश) अपना डीएनए चेक करवाएं कि कहां के हैं और किस पार्टी से हैं। वह देखें कि उनका डीएनए किस-किस पार्टी में रहा है। बाहर के लोगों को कांग्रेस का अता-पता नहीं है। चापलूसी और ट्विट कर जिन्हें पद मिले अगर वे आरोप लगाएं तो हमें दुख होता है। मोदी तो बहाना है, जी-23 की चिट्ठी लिखे जाने के बाद से उनका मेरे साथ विवाद है वे कभी नहीं चाहते थे कि कोई उन्हें लिखे, उनसे सवाल करे। कई (कांग्रेस) बैठकें हुईं, लेकिन एक भी सुझाव नहीं लिया गया।'