महापौर, नेता प्रतिपक्ष व ननि अध्यक्ष के धरने की जानकारी मिली तो अमला उलटे पांव वापस लौटा - Khabri Guru

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महापौर, नेता प्रतिपक्ष व ननि अध्यक्ष के धरने की जानकारी मिली तो अमला उलटे पांव वापस लौटा


जबलपुर। मेडिकल काॅलेज के समीप एक कालोनी में कार्रवाई के लिए पहंुचे अमले को उस वक्त उल्टे पांव वापिस लौटना पड़ा जब उसे जानकारी मिली कि पीड़ित कालोनीवासियों के साथ नगर निगम महापौर, नेता प्रतिपक्ष सहित अनेक राजनीतिक नेता धरने पर बैठे हैं। दरअसल, जिला प्रशासन के साथ नगर निगम का अमला यहां बनी अवनि विहार कालोनी के उन हिस्सों में कार्रवाई के लिए पहुंचा था जो नियम विरुद्ध बस गई थी। वहीं कालोनीवासियों का कहना है कि उन्हें जो कागज दिखाए गए थे वे नियमानुसार सही थे तथा रजिस्ट्री के बाद अब उनके नाम भी राजस्व दस्तावेजों में दर्ज हो चुके हैं। फिलहाल, सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के साथ आने की वजह से प्रशासन को अपने पांव पीछे खींचना पड़े।

जिला प्रशासन के साथ नगर निगम के अमले को एक अवैध कालोनी में कार्रवाई करने से पहले ही उस वक्त बैरंग वापिस लौटना पड़ा जब कालोनीवासियों के साथ ही महापौर, नेता प्रतिपक्ष तथा नगर निगम अध्यक्ष ही धरने पर बैठ गए। इस दौरान महापौर ने कालोनीवासियों को भरोसा दिलाया है कि उनके साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा तथा इस मामले में वे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी चर्चा करेंगे।

शास्त्री नगर स्थित अवनि बिहार फेस-1 और फेस-2 क्षेत्र में रहने वाले बाशिन्दे शुक्रवार की सुबह उस समय हड़बड़ा गए, जब नगर-निगम के अफसरों ने यहां पहुंच कर उनको यह जानकारी दी कि खसरा नंबर 662 के कुछ हिस्से पर पर बनीं उनकी कालोनियां अवैध हैं। अमले ने कालोनी के घर-मकान और दुकानों को तोड़ने की भी बात कही। नतीजतन वहां रहने वालों ने तत्काल यहां-वहां फोन लगाना और अपना सख्त विरोध दर्ज कराना शुरु कर दिया। घटना की जानकारी मिलते ही महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू, नेता प्रतिपक्ष कमलेश अग्रवाल और नगर-निगम अध्यक्ष रिकुंज विज सहित बड़ी संख्या में लोग मौके पर पहुंच गए।

इसी दौरान यह खबर आई कि तिलवारा थाना परिसर में प्रशासन और पुलिस के अमले के साथ नगर-निगम की जेसीबी मशीन कार्रवाई को तैयार है। आदेश मिलते ही ये अमला कार्रवाई को अवनि बिहार आ धमकेगा। इस जानकारी के बाद महापौर, नेता प्रतिपक्ष और सभापति सहित अनेक अन्य राजनेता मौके पर धरना-देकर बैठ गए। प्रशासन को मामला बिगड़ता दिखा तो उसने फिलहाल कार्रवाई का विचार त्याग दिया। इधर महापौर ने कालोनी वालों को आश्वस्त कराया है कि वो उनकी बात मुख्यमंत्री तक पहुंचाएंगे।

कैसे हो गया नामांतरण 
बताया जाता है कि खसरा नंबर 662 की इस जमीन पर पहले से तालाब और ग्रीन बैल्ट है। यहां खाली पड़ी जमीन पर बिल्डरों द्वारा निर्माण कार्य कर मकान बेच दिए गए। कालोनीवासियों का कहना है कि उनको सभी दस्तावेज दिखाए गए थे, इसके बाद ही उन लोगों ने मकान खरीदे थे। यदि गड़बड़ था तो बिल्डर ने निर्माण कैसे किया और मकानों का क्रय-विक्रय कैसे हुआ? किस आधार पर रजिस्ट्री हुई? मकानों का नामांतरण कैसे हो गया? फिलहाल यहां मेयर सहित अन्य नेताओं के पहुंच जाने के कारण मामला टल गया है लेकिन वाशिंदों को इस बात का भय सता रहा है कि आज नहीं तो कल प्रशासन यहां कार्रवाई करेगा।

इनका कहना है.... 
लोग वर्षों से यहां रह रहे हैं। जब ये कालोनियां बन रही थीं तब ध्यान क्यों नहीं दिया गया? अवैध कालोनाइजरों पर कार्रवाई होना चाहिए, लेकिन जिस आम आदमी ने जीवन भर की पूंजी घर में लगा दी, उसके आशियानों को नहीं उजाड़ना चाहिए।
-कमलेश अग्रवाल, नेता प्रतिपक्ष-ननि

कालोनी में रहने वालों के पास रजिस्ट्री हैं, पी-1, पी-2 में उनका नाम आ चुका है, उनके नाम पर नामांतरण हो चुका है। ऐसे में कालोनीवासियों को मानवीय आधार पर राहत मिलना चाहिए। मैं इस मामले में मुख्यमंत्री से भी मुलाकात करूंगा और कालोनी वालों का पक्ष रखूंगा।

-जगत बहादुर सिंह अन्नू, महापौर

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