चुटका परियोजना को केन्द्र सरकार की मंजूरी, मध्यप्रदेश को जल्द मिलेगा पहला परमाणु पावर प्लांट - Khabri Guru

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चुटका परियोजना को केन्द्र सरकार की मंजूरी, मध्यप्रदेश को जल्द मिलेगा पहला परमाणु पावर प्लांट

जबलपुर। संभाग के मंडला जिला स्थित चुटका में परमाणु बिजली संयंत्र बनने का रास्ता साफ हो गया है। यहां बनने जा रहे प्रदेश के पहले परमाणु बिजली संयंत्र को सभी जरूरी अनुमतियां मिल गई हैं। लोकसभा में गत दिवस यह जानकारी देते हुए केन्द्रीय परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने इस बात की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा चार राज्यों में स्वीकृत 10 परमाणु रिएक्टरों में से एक रिएक्टर चुटका में बनेगा। ये रिएक्टर 2031 तक स्थापित हो जाएंगे। इन पर 1.50 लाख करोड़ रुपए की लागत आएगी। श्री सिंह ने कहा कि सरकार ने परमाणु रिएक्टरों की स्थापना के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) या विशेष सरकारी एजेंसियों को जिम्मेदारी दी है। सरकार ने फ्लीट मोड में 700 मेगावॉट के 10 स्वदेशी हैवी वाटर रिएक्टर्स के लिए प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति प्रदान कर दी है। चुटका के अलावा बाकी परमाणु रिएक्टर कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के कैगा, राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के माही और हरियाणा के फतेहाबाद जिले के गोरखपुर गांव में स्थापित किए जाने का प्रस्ताव है।

केंद्र सरकार ने दी अनुमति
बताया गया है कि केंद्र सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के अधीन काम करने वाला न्यूक्लियर पॉवर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआईएल) चुटका गांव में 700 मेगावॉट विद्युत उत्पादन क्षमता के दो न्यूक्लियर प्लांट स्थापित करेगा। इनसे कुल 1400 मेगावॉट बिजली पैदा होगी। केंद्र और मध्यप्रदेश सरकार के बीच हुए करार के मुताबिक इस प्लांट में पैदा होने वाली 50 फीसदी बिजली राज्य को मिलेगी जबकि 50 फीसदी सेंट्रल पूल में जाएगी।

ग्रामीणों ने किया था विरोध
चुटका में परमाणु बिजली संयंत्र की स्थापना के लिए साल 2009-10 में केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने संयुक्त रूप से मंजूरी दे दी थी। 1500 एकड़ जमीन चिह्नित कर भूमि अधिग्रहण भी किया जा चुका है। जमीन न्यूक्लियर पॉवर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया को हैंडओवर हो चुकी है। चुटका के सभी 330 परिवारों के पुनर्वास के लिए एक नया गांव बसाया गया है। हालांकि, स्थानीय ग्रामीण मुआवजा लेने के बावजूद चुटका छोड़कर जाने को तैयार नहीं हैं और पहले ही बड़े पैमाने पर विरोध कर चुके हैं। इसी कारण प्रोजेक्ट का काम अटक गया था। अगस्त 2022 में पीएमओ ने राज्य सरकार को अड़चनें दूर करने को कहा था। परमाणु बिजली घर पर्यावरण को खतरा पैदा करने वाले संयंत्र माने जाते रहे हैं। इसके बाद भी सरकार ऐसे प्रोजेक्ट आगे बढ़ा रही है। मध्यप्रदेश के पहले परमाणु बिजली संयंत्र का विरोध खत्म नहीं हुआ है क्योंकि ग्रामीण जगह छोड़कर जाने को तैयार नहीं है। इस बात की संभावना अभी भी बनी हुई है कि यहां रहने वाले ग्रामीण किस स्तर तक अपनी लड़ाई जारी रखते हैं और यह प्रोजेक्ट आखिर कब तक साकार हो पाता है।

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