गीता प्रेस को पुरस्कार देना गोडसे को इनाम देने जैसा, भाजपा का पलटवार- कांग्रेस को सनातन परंपरा से नफरत - Khabri Guru

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गीता प्रेस को पुरस्कार देना गोडसे को इनाम देने जैसा, भाजपा का पलटवार- कांग्रेस को सनातन परंपरा से नफरत



वर्ष 2021 का गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस, गोरखपुर को प्रदान किय जाएगा। गीता प्रेस को यह पुरस्कार अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाएगा। हालांकि, यह फैसला कांग्रेस को रास नहीं आया है। पार्टी नेता जयराम रमेश ने इस कदम की आलोचना की और पुरस्कार के लिए गीता प्रेस के चयन को एक "उपद्रव" बताया।

ट्विटर पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार 2021 देना सावरकर और गोडसे को पुरस्कृत करने जैसा होगा। उन्होंने तर्क दिया कि एक लेखक अक्षय मुकुल ने 'गीता प्रेस एंड द मेकिंग ऑफ हिंदू इंडिया' नामक एक जीवनी लिखी थी। रमेश ने कहा कि किताब मुकुल के महात्मा गांधी के साथ 'तूफानी' संबंधों और उनके राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चल रही लड़ाइयों का पता लगाता है. यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।

संस्कृति मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली जूरी ने सर्वसम्मति से गीता प्रेस गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार के लिए चुनने का फैसला किया। लेकिन जानकारी के मुताबिक, बोर्ड की बैठक में तय हुआ है कि पुरस्कार के साथ मिलने वाली एक करोड़ रुपये की धनराशि गीता प्रेस स्वीकार नहीं करेगा।

भाजपा का कांग्रेस पर प्रहार
कांग्रेस ने सरकार के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं, जबकि भाजपा ने देश की सबसे पुरानी पार्टी पर पलटवार किया है। भाजपा ने साफ तौर पर कहा कि कांग्रेस इस मामले को लेकर सवाल इसलिए खड़े कर रही है क्योंकि वह सनातन परंपरा से नफरत करती है।

भाजपा ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आरोप लगाया कि विपक्षी पार्टी गीता प्रेस से इसलिए नफरत करती है क्योंकि वह सनातन का संदेश फैला रहा है। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस को ‘हिन्दू विरोधी’ करार दिया और लोगों से सवाल किया कि गीता प्रेस पर उसके हमले से क्या कोई हैरान है। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि अगर इसे "xyz प्रेस" कहा जाता तो वे इसकी सराहना करते लेकिन क्योंकि यह गीता है - कांग्रेस को समस्या है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस मुस्लिम लीग को धर्मनिरपेक्ष मानती है, लेकिन गीता प्रेस सांप्रदायिक है; जाकिर नाइक शांति का मसीहा है लेकिन गीता प्रेस सांप्रदायिक है। हालांकि, कांग्रेस में भी इसको लेकर राय बंटी हुई नजर आ रही है। यूपी कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि जयराम रमेश को ऐसे बय़ान नहीं देना चाहिए था।

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