
मणिपुर में हिंसा का दौर जारी रहने के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी राज्य में पहुँचे तो एक नया राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया। दूसरी ओर असम में बाढ़ से हजारों लोग प्रभावित हुए हैं तो त्रिपुरा में रथ यात्रा के दौरान एक भीषण हादसा हो गया जिससे 7 लोगों की मृत्यु हो गयी। इसके अलावा मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले में एक सीमा चौकी पर ग्रामीणों के हमले में बीएसएफ के दो जवानों समेत पांच लोग घायल हो गए तो दूसरी ओर अरुणाचल प्रदेश में दल बदल का खेल शुरू हो गया है। पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों से भी मिलेजुले समाचार रहे। आइये डालते हैं पूर्वोत्तर भारत से आई इस सप्ताह की बड़ी खबरों पर और सबसे पहले बात करते हैं मणिपुर की।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी मणिपुर पहुँचे तो इंफाल से 20 किलोमीटर दूर बिष्णुपुर में उन्हें रोक दिया गया। दरअसल राहुल गांधी के समर्थन और विरोध में लोगों के दो गुट आमने सामने आ गये। विरोध में खड़े लोगों ने राहुल गांधी गो बैक के नारे लगाये तो समर्थन में खड़े लोगों ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार जानबूझकर राहुल गांधी को मणिपुर की सच्चाई जानने से रोकना चाहती है। दूसरी ओर, पुलिस अधिकारियों ने बताया कि रास्ते में हिंसा की आशंका के चलते राहुल गांधी के काफिले को रोका गया। उन्होंने बताया कि बिष्णुपुर जिले के उटलू गांव के पास राजमार्ग पर टायर जलाए गए और काफिले पर कुछ पत्थर फेंके गए। पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, ''हमें ऐसी घटनाओं के फिर होने की आशंका है और इसलिए एहतियाती तौर पर काफिले को बिष्णुपुर में रुकने का अनुरोध किया गया।’’ बाद में राहुल गांधी हेलीकाप्टर के माध्यम से चुराचांदपुर जिले के लिए रवाना हुए। यह जिला हिंसा से काफी प्रभावित हुआ और यहीं सर्वाधिक हथियार भी लूटे गये थे।
दूसरी ओर, भाजपा का इस मुद्दे पर कहना है कि राहुल गांधी के मणिपुर जाने से पहले वहां की ऑल मणिपुर स्टूडेंट यूनियन ने राहुल गांधी के विजिट को बायकॉट करने की मांग की है। पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि कई सिविल सोसायटी ऑर्गेनाइजेशन ने भी आह्वान किया था कि राहुल गांधी मणिपुर न आयें और यहां चिंगारी भड़काने का काम न करें लेकिन वह नहीं माने। वहीं कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने राहुल गांधी को रोके जाने पर कड़ी प्रतिक्रया जताई है।
इसके अलावा, हिंसाग्रस्त मणिपुर के कंगपोकपी जिले के हरओठेल गांव में बृहस्पतिवार को सुबह कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने ''बिना किसी उकसावे’’ के गोलीबारी की। सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की और गोलीबारी अब थम चुकी है। सुरक्षा बलों से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ''हरओठेल गांव में सुबह करीब पौने छह बजे बंदूकधारियों ने बिना किसी उकसावे के गोलीबारी शुरू कर दी। असम राइफल्स के जवानों ने जवाबी कार्रवाई की और गोलीबारी अब थम चुकी है। जांच जारी है।’’
इसके अलावा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि राज्य में जातीय दंगों के कारण राहत शिविरों में रह रहे लोगों को उनकी सरकार 1,000 रुपये की एकमुश्त मदद देगी। एन बीरेन सिंह ने इंफाल ईस्ट जिले के खुमान लैंपक खेल परिसर में बनाए गए एक राहत शिविर में इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह सहायता इसलिए दी जाएगी, ताकि शिविरों में रह रहे लोग कपड़े और जरूरत के अन्य सामान खरीद सकें। इस राहत शिविर में 106 महिलाएं और बच्चे रह रहे हैं। पिछले महीने राज्य में हिंसा शुरू होने के बाद से करीब 50,000 लोग 300 से अधिक राहत शिविरों में रह रहे हैं। सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार ने राहत शिविरों में रह रहे लोगों को 1,000 रुपये देने का फैसला किया है। यह वित्तीय सहायता संबंधित जिला अधिकारियों के जरिए दी जाएगी।" सिंह ने इंफाल वेस्ट जिले में भी एक राहत शिविर का दौरा किया और वहां रह रहे लोगों से बातचीत की। मुख्यमंत्री ने बाद में ट्वीट किया, “प्रभावित लोगों की सहायता करने और पीड़ितों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। विस्थापित लोगों के राहत एवं पुनर्वास के लिए किए जा रहे उपायों के तहत वित्तीय सहायता दी।” उन्होंने कहा कि राज्य में जो कुछ हुआ, वह "बहुत दुर्भाग्यपूर्ण" है। सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि राज्य प्रशासन के अलावा महिला संगठनों सहित विभिन्न समूहों के प्रयासों से स्थिति में काफी सुधार हुआ है। सिंह ने कहा कि केंद्र 24 घंटे राज्य की स्थिति पर नजर रख रहा है और राज्य प्रशासन सभी लोगों को सहायता मुहैया कराने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा, "उन संवेदनशील इलाकों में करीब 40,000 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है, जहां उग्रवादियों के हमले की आशंका है।" सिंह ने कहा कि रविवार को उनकी नयी दिल्ली यात्रा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें आश्वासन दिया है कि केंद्र राज्य के पहाड़ी इलाकों में उग्रवादी गतिविधियों पर गौर करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने शाह को बताया कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है कि घाटी के इलाकों में अशांति न हो।
इसके अलावा, मणिपुर सरकार ने कार्यालय नहीं आने वाले अपने कर्मचारियों पर ‘काम नहीं, वेतन नहीं’ नियम लागू करने का फैसला लिया है। सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) से उन कर्मचारियों का ब्योरा देने के लिए कहा गया है, जो जातीय हिंसा से प्रभावित राज्य की मौजूदा स्थिति के कारण कार्यस्थल पर उपस्थिति नहीं दर्ज करा पा रहे हैं। जीएडी सचिव माइकल एचोम की ओर से जारी एक परिपत्र में कहा गया है, “12 जून को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक और कार्यवाही के पैरा 5-(12) में लिए गए निर्णय के अनुसार, मणिपुर सचिवालय के सामान्य प्रशासन विभाग से वेतन प्राप्त कर रहे सभी कर्मचारियों को सूचित किया जाता है कि उन सभी कर्मचारियों पर ‘काम नहीं, तो वेतन नहीं’ नियम लागू किया जा सकता है, जो अधिकृत छुट्टी लिए बगैर कार्यस्थल पर नहीं पहुंच रहे हैं।” मणिपुर सरकार के लगभग एक लाख कर्मचारी हैं। परिपत्र में सभी प्रशासनिक सचिवों से “उन कर्मचारियों का ब्योरा उपलब्ध कराने को कहा गया है, जो राज्य के मौजूदा हालात के चलते कार्यालय नहीं आ रहे हैं।” इसमें निर्देश दिया गया है कि सामान्य प्रशासन विभाग और कार्मिक विभाग को 28 जून तक ऐसे सभी कर्मचारियों के नाम, ईआईएन (कर्मचारी पहचान संख्या), मौजूदा पता सहित अन्य विवरण उपलब्ध कराए जाएं, ताकि उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके। मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती और अल्पसंख्यक कुकी समुदाय के बीच मई की शुरुआत में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
इसके अलावा, सेना ने लोगों से मणिपुर में शांति बहाल करने में उनकी मदद करने का आग्रह करते हुए कहा कि हिंसा प्रभावित इस पूर्वोत्तर राज्य में महिला कार्यकर्ता जानबूझकर मार्गों को अवरुद्ध कर रही हैं और सुरक्षा बलों के अभियान में बाधा डाल रही हैं। सेना के ‘स्पीयर्स कोर’ ने ट्विटर पर ऐसी कुछ घटनाओं का एक वीडियो साझा किया और कहा कि इस तरह का ‘‘अनुचित हस्तक्षेप’’ सुरक्षा बलों को समय पर जरूरी कार्रवाई करने से रोकता है। यह बयान इंफाल ईस्ट जिले के इथम गांव में सेना और महिलाओं के नेतृत्व वाली भीड़ के बीच गतिरोध के दो दिन बाद आया है, जिसके कारण सुरक्षा बलों को वहां छिपे 12 उग्रवादियों को जाने देने के लिए मजबूर होना पड़ा था। ‘स्पीयर्स कोर’ ने ट्वीट किया, ''मणिपुर में महिला कार्यकर्ता जानबूझकर मार्गों को अवरुद्ध कर रही हैं और सुरक्षा बलों के अभियान में बाधा डाल रही हैं। इस तरह का अनुचित हस्तक्षेप गंभीर परिस्थितियों के दौरान जान-माल का नुकसान रोकने के लिए सुरक्षा बलों को समय पर जरूरी कार्रवाई करने से रोकता है।’’ उसने कहा, ''भारतीय सेना सभी वर्गों से शांति बहाल करने के हमारे प्रयासों का समर्थन करने की अपील करती है। मणिपुर की मदद करने में हमारी सहायता करें।’’ अधिकारियों ने बताया था कि इंफाल ईस्ट के इथम गांव में महिलाओं के नेतृत्व वाली भीड़ और सुरक्षा बलों के बीच शनिवार को गतिरोध के बाद सेना ने नागरिकों की जान जोखिम में न डालने का ‘‘परिपक्व फैसला’’ किया और बरामद किए गए हथियारों व गोला-बारूद के साथ वहां से हट गए। इससे ही यह गतिरोध खत्म हो पाया। सुरक्षा बलों ने इथम गांव को शनिवार को घेर लिया था, जहां प्रतिबंधित मेइती उग्रवादी समूह कांगलेई योल कान-ना लुप (केवाईकेएल) के 12 सदस्य छिपे हुए थे। इस कार्रवाई के बाद भीड़ और सैनिकों के बीच गतिरोध उत्पन्न हुआ था। हम आपको बता दें कि केवाईकेएल एक मेइती उग्रवादी समूह है, जो 2015 में छह डोगरा इकाई पर घात लगाकर किए गए हमले सहित कई हमलों में शामिल रहा है।
असम
असम से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सभी उपायुक्तों को एक परामर्श जारी किया है, जिसमें जिलों के उनके आधिकारिक दौरे के दौरान पालन किए जाने सादगीपूर्ण कार्यक्रमों के विवरण सूचीबद्ध किए गए हैं। परामर्श में कहा गया है कि मुख्यमंत्री को गमोछा/फूलों का गुलदस्ता देकर सम्मानित करने से सख्ती से बचा जाना चाहिए और उन्हें कोई उपहार नहीं दिया जाना चाहिए। समारोह शुरू होने से पहले आयोजक द्वारा दीप प्रज्जवलित किया जा सकता है जो पूरी बैठक के दौरान जलता रह सकता है। इसमें कहा गया है कि वक्ता के अलावा कोई अन्य धन्यवाद प्रस्ताव ना करे। मुख्यमंत्री के रात्रि प्रवास के मामले में अगली सुबह का कार्यक्रम वाणिज्यिक वृक्षारोपण से शुरू होना चाहिए। परामर्श में कहा गया है कि चाय कुल्हड़ में दी जानी चाहिए और पानी को एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक की बोतलों के बजाय कांच की बोतलों या जगों में रखा जाना चाहिए। दोपहर के भोजन और रात के खाने का मेन्यू हमेशा असमिया/स्थानीय आदिवासी मेन्यू के साथ साधारण शाकाहारी भोजन होना चाहिए। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव समीर सिन्हा ने ट्वीट किया, ‘‘यह परामर्श इसलिए जारी किया गया है क्योंकि मुख्यमंत्री चाहते हैं कि किसी भी वीआईपी संस्कृति से बचा जाए और सादगीपूर्ण संस्कृति को अपनाया जाए।’’
असम में बुधवार को बाढ़ की स्थिति में सुधार आया, लेकिन इसमें एक और व्यक्ति की जान चली गयी तथा छह जिलों में करीब 83,000 लोग अब भी इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हैं। एक सरकारी बुलेटिन में यह जानकारी दी गई। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ग्वालपारा जिले के रोंगजुली में बाढ़ के कारण एक व्यक्ति की मौत हो गई। इस साल बाढ़ की वजह से राज्य में अबतक सात लोगों की मौत हो चुकी है। प्राधिकरण के अनुसार, बारपेटा, कामरूप, लखीमपुर, नलबारी, सोनितपुर और उदालगुरी जिलों में 82,900 से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। इसने बताया कि बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित बारपेटा हुआ है, जहां 60,700 लोग प्रभावित हुए हैं। प्राधिकरण के अनुसार, लखीमपुर में 18,600 से अधिक और सोनितपुर में करीब 1,400 लोग बाढ़ की विभीषिका झेल रहे हैं। मंगलवार तक राज्य के सात जिलों में करीब एक लाख 20 हजार लोग बाढ़ से प्रभावित हुए। प्राधिकरण ने एक दिन पहले कहा था कि ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों में जलस्तर घट रहा है तथा ये नदियां अब कहीं भी खतरे के निशान से ऊपर नहीं बह रही हैं। प्रशासन कामरूप जिले में एक राहत शिविर संचालित कर रहा है, जहां चार लोगों ने शरण ले रखी है। प्रशासन छह जिलों में 105 राहत वितरण केंद्र संचालित कर रहा है। प्राधिकरण के अनुसार, बाढ़ के कारण 395 गांव जलमग्न हो गये हैं, जबकि 1859.91 हेक्टेयर क्षेत्र में लगी फसल बर्बाद हो गयी है।
गुवाहाटी उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के सदस्यों ने उच्च न्यायालय को ब्रह्मपुत्र नदी के पार उत्तरी गुवाहाटी में स्थानांतरित करने का विरोध करते हुए मंगलवार को प्रदर्शन किया। अदालत के एक अधिकारी ने बताया कि वकीलों के विरोध प्रदर्शन में भाग लेने से सत्र अदालत का कामकाज प्रभावित हुआ, हालांकि उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। बार एसोसिएशन के वकीलों ने शहर के लतासिल इलाके में पुराने उच्च न्यायालय भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। गुवाहाटी उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मृदुल कुमार चौधरी ने कहा कि 23 मई को एक अधिसूचना जारी की गई थी, जिसमें कहा गया था कि उच्च न्यायालय को उत्तरी गुवाहाटी के रंगमहल में स्थानांतरित किया जाएगा। उन्होंने कहा, “यह अधिसूचना अचानक आयी, जबकि वर्तमान परिसर को लेकर किसी भी कठिनाई या परेशानी के बारे में वकीलों या वादियों की ओर से कोई शिकायत नहीं थी।” चौधरी ने कहा कि परिसर को गुवाहाटी से उत्तरी गुवाहाटी में स्थानांतरित करने में कोई सार्वजनिक हित शामिल नहीं है और इसका कारण यह बताया जा रहा है कि विस्तार की आवश्यकता है क्योंकि वर्तमान परिसर में अदालती कार्यवाही और वकीलों के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। उत्तरी गुवाहाटी में प्रस्तावित भूमि तक ब्रह्मपुत्र पर बने सरायघाट पुल के माध्यम से 30 किलोमीटर से अधिक की यात्रा करके पहुंचा जा सकता है।
असम में निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के विरोध में राजनीतिक दलों द्वारा बुलाए गए 12 घंटे के बंद के दौरान मंगलवार को बराक घाटी के तीन जिलों में 300 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया। परिसीमन संबंधी मसौदा प्रस्ताव पिछले सप्ताह प्रकाशित किया गया था। बराक डेमोक्रेटिक फ्रंट (बीडीएफ) ने सबसे पहले बंद का आह्वान किया था और बाद में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस एवं एआईयूडीएफ ने इसका समर्थन किया। बंद सुबह पांच बजे शुरू हुआ और घाटी के कछार, करीमगंज एवं हैलाकांडी जिलों में दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। स्कूल और सरकारी कार्यालय खुले थे लेकिन उनमें उपस्थिति कम दर्ज की गई। इन तीनों जिलों में वाहनों की संख्या सामान्य से कम थी और प्रदर्शनकारी सड़कों पर निकले लोगों से अपने घर लौटने का आग्रह कर रहे थे। पुलिस ने करीमगंज (उत्तर) से कांग्रेस विधायक कमलाख्या डे पुरुकायस्थ और पार्टी के कछार जिला अध्यक्ष अभिजीत पॉल सहित 300 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। कछार के पुलिस अधीक्षक नुमल महत्ता ने कहा कि सभी दलों के प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है क्योंकि वे काम पर जा रहे आम लोगों को रोक रहे थे। उन्होंने कहा, "ये एहतियाती गिरफ्तारियां हैं और हम आम लोगों की मदद करने का प्रयास कर रहे हैं।" निर्वाचन आयोग द्वारा प्रकाशित मसौदा परिसीमन प्रस्ताव के अनुसार, तीन जिलों में विधानसभा सीटों की संख्या घटकर 13 हो जाएगी जो अभी 15 है। इसके अलावा कुछ निर्वाचन क्षेत्रों के नामों में परिवर्तन किए जाने का भी प्रस्ताव है। सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सहित कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने मसौदा प्रस्ताव पर असंतोष जताया है। ढोलई विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले परिवहन मंत्री परिमल शुक्लाबैद्य ने कहा कि उनके क्षेत्र के लोग निर्वाचन क्षेत्र का नाम ढोलई से बदलकर नरसिंहपुर करने के प्रस्ताव से नाखुश हैं। वहीं कांग्रेस विधायक पुरुकायस्थ ने कहा कि परिसीमन मसौदा "बराक घाटी के लोगों और एक खास समुदाय के खिलाफ साजिश" है।
इसके अलावा, असम में विपक्षी पार्टी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) ने राज्य में विधानसभा और संसदीय सीटों के परिसीमन के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि यदि यह योजना वापस नहीं ली गई तो वह अदालत में इसे चुनौती देगी। एआईयूडीएफ के संगठन महासचिव व विधायक अमीन-उल-इस्लाम ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि 2008 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने प्रासंगिक अधिनियमों में संशोधन किया था, जिसके कारण सीमांकन कि जिम्मेदारी परिसीमन आयोग के बजाय भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को मिल गई थी। इस्लाम ने यहां पत्रकारों से कहा, “हम मसौदे के सभी बिंदुओं का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर रहे हैं। हम 11 जुलाई तक प्रस्तावों पर अपना विरोध दर्ज कराएंगे।” उन्होंने कहा, “अगर फिर भी ईसीआई ने प्रस्तावों को वापस नहीं लिया तो हम अदालत जाएंगे। हम हर संभव विकल्प तलाशेंगे।”
हम आपको बता दें कि निर्वाचन आयोग ने 20 जून को असम के लिए परिसीमन मसौदा दस्तावेज जारी करते हुए राज्य में विधानसभा सीट की संख्या 126 और लोकसभा सीट की संख्या 14 पर बरकरार रखने का प्रस्ताव रखा था। राज्य से राज्यसभा की सात सीटें हैं। मसौदे के अनुसार, निर्वाचन आयोग ने प्रस्ताव दिया है कि अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित विधानसभा सीटें आठ से बढ़ाकर नौ और अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित सीटें 16 से बढ़ाकर 19 की जाए। दो संसदीय क्षेत्र को अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए तथा एक क्षेत्र को अनुसूचित जाति वर्ग के लिए सुरक्षित करने का प्रस्ताव किया गया है। आयोग ने अधिकांश निर्वाचन क्षेत्रों, विधानसभा और लोकसभा दोनों की भौगोलिक सीमाओं में बदलाव की भी योजना बनाई है, जबकि कुछ सीटों को समाप्त करने और कुछ नयी सीटें बनाने का प्रस्ताव है।
इस्लाम ने आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने संबंधित अधिनियमों में संशोधन किया, जिसके कारण परिसीमन की जिम्मेदारी ईसीआई को मिल गई। उन्होंने कहा, “दो अधिनियमों में संशोधन कर सीमांकन की जिम्मेदारी परिसीमन आयोग से छीनकर ईसीआई को सौंप दी गई। यह 2008 में किया गया था, जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। कांग्रेस ने खाका तैयार किया और भाजपा अब इसे लागू कर रही है।” उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा कांग्रेस के साथ समझौता करके परिसीमन प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है क्योंकि दोनों दलों को प्रस्तावों से लाभ होगा। इस्लाम ने कहा, “मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में 8-9 सीटें कम हो जाएंगी। उनका एकमात्र उद्देश्य एआईयूडीएफ और पार्टी प्रमुख बदरुद्दीन अजमल को खत्म करना है। यह एक विशेष समुदाय को राजनीतिक रूप से खत्म करने का प्रयास है।”
त्रिपुरा
त्रिपुरा से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के उनाकोटि जिले में बुधवार को हाईटेंशन तार के संपर्क में आने के बाद एक रथ में आग लगने से दो बच्चों सहित सात व्यक्तियों की मौत हो गई और 16 अन्य झुलस गए। यह जानकारी पुलिस ने दी। पुलिस ने बताया कि यह घटना इस्कॉन द्वारा आयोजित भगवान जगन्नाथ के 'उल्टा रथ यात्रा' उत्सव के दौरान कुमारघाट इलाके में शाम करीब साढ़े चार बजे हुई। इस उत्सव के दौरान, भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के एक सप्ताह बाद अपने मुख्य मंदिर लौट आते हैं। पुलिस ने बताया कि लोहे से बने रथ को हजारों लोग खींच रहे थे, तभी वह 133 केवी (किलो वोल्ट) के केबल के संपर्क में आ गया। पुलिस ने बताया कि रथ के हिस्सों में तुरंत ही आग लग गई और इसकी चपेट में लोग भी आ गये और वे सड़क पर गिर गए। पुलिस ने बताया कि दमकलकर्मी मौके पर पहुंचे और स्थिति को काबू किया। सहायक महानिरीक्षक (कानून एवं व्यवस्था) ज्योतिषमान दास चौधरी ने बताया कि छह लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक व्यक्ति की मौत अस्पताल ले जाते समय हो गई। पुलिस ने बताया कि मृतकों में दो बच्चे और तीन महिलाएं शामिल हैं। पुलिस ने बताया कि घायलों को जिले के कैलाशहर और कुमारघाट अस्पतालों में ले जाया गया और बाद में उनमें से कुछ की हालत गंभीर होने के कारण उन्हें अगरतला के जीबी पंत अस्पताल भेज दिया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह घटना दुखद है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने उनके हवाले से ट्वीट किया, ‘‘कुमारघाट में उल्टा रथ यात्रा के दौरान हादसा दुखद है। इस हादसे में अपने प्रियजनों को खोने वाले लोगों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। स्थानीय प्रशासन प्रभावित लोगों को हरसंभव मदद दे रहा है।’’ उन्होंने प्रत्येक मृतक के परिजन को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दो लाख रुपये तथा घायलों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री माणिक साहा स्थिति का जायजा लेने के लिए कुमारघाट पहुंचे जो अगरतला से लगभग 120 किलोमीटर की दूरी पर है। राज्य के मंत्री टिंकू रॉय के साथ साहा ने कुमारघाट अस्पताल का निरीक्षण किया और घायलों का हाल-चाल पूछा तथा उन्हें हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, ‘‘कुमारघाट में एक दुखद दुर्घटना में, 'उल्टा रथ' खींचते समय करंट लगने से कई श्रद्धालुओं की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए। मैं इस घटना से बहुत दुखी हूं। शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदना। साथ ही, मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। राज्य सरकार इस मुश्किल समय में उनके साथ खड़ी है।’’ ऊर्जा मंत्री रतन लाल नाथ ने कहा कि उन्होंने त्रिपुरा राज्य विद्युत निगम लिमिटेड को घटना की जांच करने और तुरंत रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। विपक्ष के नेता, टिपरा मोथा के अनिमेष देबबर्मा ने उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की, जिसके कारण यह दुर्घटना हुई। उन्होंने आरोप लगाया, 'ऐसा प्रतीत होता है कि यह घटना स्थानीय प्रशासन की सतर्कता की कमी के कारण हुई।' कांग्रेस तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने भी मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई ने बृहस्पतिवार को अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए और कहा कि उसके अध्यक्ष राजीव भट्टाचार्य प्रभावित इलाके का दौरा करेंगे।
त्रिपुरा वर्तमान शैक्षणिक सत्र से सभी सामान्य डिग्री कॉलेजों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) लागू करने की तैयारी में है। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी। पूर्वोत्तर राज्य में केंद्रीय संस्थान त्रिपुरा विश्वविद्यालय और राज्य द्वारा संचालित महाराजा बीर बिक्रम विश्वविद्यालय के तहत 25 सामान्य डिग्री कॉलेज हैं। उच्च शिक्षा निदेशक नृपेंद्र शर्मा ने कहा, ‘‘सभी सामान्य डिग्री कॉलेज में प्रवेश एनईपी-2021 के आधार पर होगा। इस नीति के तहत, छात्रों को ‘एक्जिट विंडो’ के साथ चार साल का डिग्री पाठ्यक्रम पेश किया जाएगा।’’ शर्मा के अनुसार जो छात्र तीन साल का स्नातक पाठ्यक्रम चुनना चाहते हैं, उन्हें भी स्नातक की डिग्री प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि चार साल के कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने वालों को प्रमुख विषयों में स्नातक ऑनर्स की डिग्री दी जाएगी। उन्होंने कहा कि सभी डिग्री कॉलेजों में व्यावसायिक पाठ्यक्रम भी शुरू किए गए हैं। कॉलेजों में निर्धारित 28,342 सीटें हैं और प्रवेश के लिए 49,662 छात्रों ने आवेदन किया है। उन्होंने कहा, "49,662 छात्रों में से एक बड़ी संख्या मेडिकल, इंजीनियरिंग और अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का विकल्प चुनेगी।" उन्होंने आश्वासन दिया कि शेष छात्रों को सामान्य डिग्री कॉलेजों में पढ़ने का अवसर मिलेगा लेकिन सीमित सीटों के कारण उन सभी को अपनी पसंद का संस्थान नहीं मिल पाएगा।
इसके अलावा, त्रिपुरा सरकार सजा की दो-तिहाई अवधि पूरा कर चुके कैदियों को ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ योजना के तहत रिहा करेगी। आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में देश में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाया जा रहा है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। इससे पहले खूंखार कैदी अमित साहा समेत पांच कैदियों को विशेष माफी के तहत पश्चिम त्रिपुरा में केंद्रीय जेल से दो चरण में रिहा किया गया था। जेल विभाग के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) अपूर्व कुमार चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘हमने उन दोषी व्यक्तियों को विशेष माफी देने की प्रक्रिया शुरू की है, जिन्होंने अपनी जेल की सजा 66 प्रतिशत पूरा कर ली है और अच्छा आचरण बनाए रखा है। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अवसर पर गृह मंत्रालय (एमएचए) के एक निर्देश के बाद ऐसा किया जा रहा है।’’ हालांकि, चक्रवर्ती ने यह बताने से इनकार कर दिया कि पूर्वोत्तर राज्य की विभिन्न जेलों में बंद कितने दोषियों ने अपनी सजा की दो-तिहाई अवधि पूरी कर ली है और जिनके नाम विशेष माफी के तहत शामिल किए गए हैं। रिहाई की प्रक्रिया 15 अगस्त तक पूरी होने वाली है। उन्होंने कहा, ‘‘विशेष माफी एक लंबी प्रक्रिया है और राज्य सरकार की सिफारिशों पर अंतिम फैसला राज्यपाल का होता है।’’ वर्तमान में 14 जेलों में 1,335 दोषी बंद हैं, जबकि जेलों की क्षमता 2,365 है। उन्होंने कहा, ‘‘हम कैदियों को हर संभव उपचार सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं। जिला जेलों में विशेष स्वास्थ्य शिविर भी आयोजित किए जाते हैं।’’
इसके अलावा, त्रिपुरा सरकार ने राज्य के 75 सीमावर्ती गांवों का नामकरण उन स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर करने का फैसला किया है जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई के दौरान अपने प्राणों की आहूति दी थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने के मौके पर शुरू की गई पहल ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के हिस्से के रूप में 75 सीमावर्ती गांवों का नाम बदलने की परियोजना शुरू की गई है। सूचना एवं सांस्कृतिक सचिव पीके चक्रवर्ती ने कहा, ''देश की आजादी में स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करने का कार्यक्रम जुलाई में शुरू होगा जो इस साल 15 अगस्त तक पूरा होगा।” उन्होंने कहा, ''ये 75 सीमावर्ती गांव सभी आठ जिलों में स्थित हैं और इनकी पहचान जिला स्तरीय समितियों द्वारा की जाएगी। प्रशासन ने पहले ही राज्य के स्वतंत्रता सेनानियों की सूची तैयार कर ली है और देश की आजादी की लड़ाई में उनके योगदान की भी जानकारी जुटा ली है।” चक्रवर्ती ने कहा कि इन गांवों में 75 स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी और उनके परिवार के सदस्यों को सरकार द्वारा सम्मानित किया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि केंद्र ने योजना को लागू करने के लिए पहले ही 3.13 करोड़ रुपये मंजूर कर दिए हैं।
मेघालय
मेघालय से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के री भोई जिले के एक सुदूर गांव में 73 वर्षीय व्यक्ति को एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस अधीक्षक गिरी प्रसाद ने बुधवार को बताया कि लड़की की चिकित्सा जांच से पता चला कि उससे दुष्कर्म किया गया है, जिसके बाद आरोपी को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया। पीड़ित लड़की के माता-पिता ने नजदीकी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी जिसके बाद बुजुर्ग शख्स को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया कि लड़की का एक स्थानीय अस्पताल में उपचार हो रहा है।
इसके अलावा, मेघालय मंत्रिमंडल ने नौकरी में आरक्षण की 1972 की नीति के तहत गैर-निवासी गारो आदिवासियों के रोजगार लाभों को वापस लेने वाले कार्मिक विभाग के एक प्रस्ताव को मंगलवार को स्वीकृति दे दी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। इस नीति के तहत खासी (40 प्रतिशत) और गारो (40 प्रतिशत) के लिए नौकरियों में 80 फीसदी, अन्य जनजातियों के लिए पांच प्रतिशत तथा राज्य में रहने वाले अन्य आदिवासियों के लिए 15 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है। मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने कहा कि मंत्रिमंडल ने आरक्षण रोस्टर के अनुरूप स्वीकृति दी है। कैबिनेट मंत्री अम्पारीन लिंगदोह ने कहा, ‘‘मंत्रिमंडल ने 1974 कार्यालय ज्ञापन में संशोधन किया है जिसके तहत राज्य के बाहर रहने वाले गारो (समुदाय के लोगों) को नौकरी आरक्षण नीति के तहत रिक्त पदों के लिए आवेदन करने की अनुमति दी जाती थी। अब, गारो श्रेणी के लिए निकलने वाली नौकरियों के लिए राज्य में रहने वाले गारो उम्मीदवारों की ही भर्ती की जाएगी।’’ मंत्रिमंडल ने मेघालय जिला न्यायालय मंत्रिस्तरीय सेवा 2020 में संशोधन पर एक प्रस्ताव को भी स्वीकृति दी है जो यह सुनिश्चित करता है कि जिला अदालतों की सेवाओं में तबादले नहीं किए जाएंगे। राज्य मंत्रिमंडल ने मेघालय वित्तीय शक्ति प्रतिनिधिमंडल नियम 2006 की चौथी अनुसूची में भी संशोधन करते हुए विभिन्न श्रेणियों के तहत डीजीपी, आईजीपी, डीआईजीपी और एसपी समेत पुलिस अधिकारियों को कुछ वित्तीय शक्तियां दी हैं।
इसके अलावा, मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले में रविवार रात एक सीमा चौकी पर ग्रामीणों के हमले में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के दो जवानों समेत कम से कम पांच लोग घायल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि राज्य की राजधानी से 100 किलोमीटर दक्षिण में डावकी शहर के पास उमसियेम गांव में रात करीब 10 बजे भीड़ ने चौकी पर हमला कर दिया। मुख्यमंत्री कोनराड. के. संगमा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा के समीप इलाके में स्थिति काबू में है और राज्य सरकार घटनाक्रम पर करीबी नजर रख रही है। बीएसएफ मेघालय फ्रंटियर के महानिरीक्षक प्रदीप कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘पिछले कुछ दिनों में, हमने काफी सामग्री जब्त की है, जिसे तस्करी के माध्यम से बांग्लादेश भेजा जाना था। तस्करों की भी पहचान की गई। इस कार्रवाई के बाद उन्होंने (तस्करों ने) चौकी पर हमला किया और जवाबी कार्रवाई में बीएसएफ को हवा में गोलियां चलानी पड़ीं।’’ बल ने एक बयान में बताया कि उसने 2.7 लाख रुपये मूल्य के कपड़े जब्त किए हैं, जिनकी तस्करी की जानी थी। बीएसएफ के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘बीएसएफ ने रविवार को तस्करी की दो कोशिश नाकाम कीं। सुबह, उन्होंने उमसियेम गांव से 2.21 लाख रुपये के कपड़े जब्त किए। रात में, बीएसएफ ने उसी गांव में तस्करों द्वारा फेंकी गई 50 हजार रुपये मूल्य की साड़ियां जब्त कीं।’’ बीएसएफ को संदेह है कि तस्करों ने इस कार्रवाई का बदला लेने के मकसद से भीड़ को एकत्रित किया और चौकी का घेराव किया। उन्होंने बताया कि भीड़ द्वारा पथराव किए जाने से बीएसएफ के कम से कम दो कर्मी घायल हो गए। उन्होंने कहा कि कुछ ग्रामीणों ने जबरदस्ती चौकी में घुसने की कोशिश की, हालांकि उन्हें पीछे धकेल दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मुझे मिली खबरों के अनुसार, यह हमला किसी तरह की तस्करी से संबंधित है। तस्करी की गयी सामग्री बरामद की गयी थी। यह उसकी प्रतिक्रिया थी। सरकार घटनाक्रम पर करीबी नजर रख रही है।’’ प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, घटना में कम से कम तीन ग्रामीण भी घायल हुए हैं। उन्होंने बताया कि एक वाहन चौकी के पास कथित तौर पर खराब हो गया, जिसमें तीन लोग सवार थे और इसके बाद ही यह घटना हुई। उन्होंने कहा, ‘‘बीएसएफ कर्मियों ने उन तीनों पर तस्कर होने का आरोप लगाया। यह खबर फैल गई और आसपास के ग्रामीण बचाव में आ गए।’’ ग्रामीणों ने बीएसएफ जवानों पर ड्यूटी के दौरान नशे में होने का भी आरोप लगाया, जिसे महानिरीक्षक ने खारिज किया है। कुमार ने बताया कि स्थानीय पुलिस तथा बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति को नियंत्रित किया। उन्होंने बताया कि बीएसएफ ने मामले की आंतरिक जांच शुरू कर दी है।
इसके अलावा, भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) की मेघालय इकाई ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उपाध्यक्षों, महासचिवों और अन्य कार्यकारी सदस्यों की नियुक्ति करने की घोषणा की। गौरतलब है कि भाजयुमो भारतीय जनता पार्टी की युवा शाखा है। भाजपा के दो विधायक हैं और पार्टी मेघालय डेमोक्रेटिक एलायंस सरकार का हिस्सा है। इस सरकार की अगुवाई नेशनल पीपुल्स पार्टी कर रही है। मेघालय विधानसभा में 60 सदस्य हैं। पार्टी की ओर से जारी बयान के अनुसार दीपन जी मोमिन और अक्की एम संगमा को उपाध्यक्ष, जयदीप घोष और अनीष एम संगमा को महासचिव नामित किया गया है। पार्टी ने कहा कि कोस्टर डिंगडोह को सचिव और वरूण कुमार को कोषाध्यक्ष एवं छह अन्य लोगों को कार्यकारी सदस्य बनाया गया है। बयान में कहा गया है कि अगले साल होने वाले आम चुनाव के मद्देनजर पार्टी में युवा पदाधिकारियों को शामिल किया गया है।
नगालैंड
नगालैंड से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में लगभग 250 किसानों को दो कृषि उत्पादों, नगा ट्री टमाटर और नगा खीरे के लिए ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग का उपयोग करने का अधिकार प्रदान किया गया। एक अधिकारी ने कहा कि उत्पादकों को केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के तहत उत्तर पूर्वी क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम (एनईआरएएमएसी) द्वारा यहां आयोजित जीआई जागरूकता सेमिनार-प्रदर्शनी के दौरान प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। छोटा, अंडाकार और स्वादिष्ट नगा ट्री टमाटर पूर्वोत्तर राज्य के रसोई उद्यानों (किचन गार्डन्स) और बगीचों में व्यापक रूप से उगाया जाता है। इन टमाटरों को सामान्य तापमान में लंबे समय तक रखा जा सकता है। जैविक रूप से उगाया गया नगालैंड का खीरा रसीला, मुलायम और मीठा होता है। जीआई टैग को मुख्य रूप से एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले कृषि, प्राकृतिक या निर्मित उत्पादों, हस्तशिल्प और औद्योगिक वस्तुओं को दिया जाता है। विपणन संगठन के प्रबंध निदेशक, कमोडोर (सेवानिवृत्त) राजीव अशोक ने कहा, पिछले कुछ वर्षों में, एनईआरएएमएसी ने पूर्वोत्तर के आठ राज्यों की 13 ऐसी कृषि-बागवानी उपज के प्रमाणीकरण में सहयोग किया है। एनईआरएएमएसी द्वारा समर्थित क्षेत्र के अन्य जीआई उत्पाद हैं - कार्बी आंगलोंग अदरक, असम की तेजपुर लीची, अरुणाचल का संतरा, मणिपुर का चक हाओ (काला चावल) और कचाई नींबू, मेघालय के मेमांग नारेंग और खासी मेंडारिन,सिक्किम के दल्ले खुरसानी और बड़ी इलायची तथा त्रिपुरा का क्वीन अन् Naga tree tomato and Naga cucumberनानास।
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि पूर्वोत्तर क्षेत्र विद्युत समिति (एनईआरपीसी) की तकनीकी समन्वय समिति की बैठक में अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में लुमला और पड़ोसी देश भूटान के बीच 132 किलोवाट की बिजली पारेषण लाइन स्थापित करने समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। भूटान में 600 मेगावाट क्षमता की खोलुंगचू जलविद्युत परियोजना स्थापित की जा रही है। इसे अरुणाचल के तवांग जिले से बिजली पारेषण लाइन से जोड़ने का प्रस्ताव है। सूत्रों के मुताबिक, इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव को केंद्र सरकार के समक्ष एनईआरपीसी के जरिये अरुणाचल प्रदेश सरकार और केंद्रीय बिजली प्राधिकरण रखेंगे। बुधवार को तवांग में हुई समन्वय समिति की 24वीं बैठक में इस मसले पर चर्चा की गई। बैठक की अध्यक्षता अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चाउना मेन ने की। इसमें पूर्वोत्तर राज्यों में बिजली क्षेत्र के विकास से जुड़ी चुनौतियों और अवसरों पर विचार-विमर्श किया गया। एनईआरपीसी के भी चेयरमैन मेन ने अपने संबोधन में सहयोग की भावना के माध्यम से मुद्दों को हल करने की दिशा में बैठक के सफल विचार-विमर्श की सराहना की। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बिजली क्षेत्र का अत्यधिक महत्व है। यह औद्योगिक उत्पादन में योगदान देने वाले प्रमुख उद्योगों में से एक है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, बैठक में राज्य में पासीघाट तथा निगलोक और पासीघाट-रोइंग-तेज़ु-नामसाई के बीच मौजूदा लाइनों की 132 किलोवाट पारेषण लाइन के दूसरे सर्किट के लिए भी तार डालने का निर्णय लिया गया। बैठक में त्रिपुरा के ऊर्जा मंत्री रतन लाल नाथ और एनईआरपीसी के सदस्य सचिव के बी जगताप के साथ अन्य मौजूद रहे।
इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार के दो पूर्व मंत्री विपक्षी दल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। पेमा खांडू सरकार में गृह मंत्री रहे कुमार वाई सोमवार को नयी दिल्ली में कांग्रेस नेताओं की उपस्थिति में पार्टी में शामिल हुए, वहीं खांडू सरकार में ही मंत्री रहे राजेश ताचो बुधवार को विपक्षी दल में शामिल हुए। वाई ने 2004 से 2019 तक लगातार तीन बार पूर्वी कामेंग जिले की बामेंग विधानसभा का प्रतिनिधित्व कांग्रेस विधायक के रूप में किया था। हालांकि, 2019 का चुनाव वह एनपीपी उम्मीदवार के रूप में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी गोरुक पोरदुंग से हार गये। ताचो पांच बार कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में अनीनी विधानसभा सीट से चुनाव जीत चुके हैं। वह 2014 में भाजपा में शामिल हो गये थे। उन्हें 2017 में पेमा खांडू नीत भाजपा सरकार से हटाया गया था और उन्होंने 2019 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नबाम तुकी ने दोनों नेताओं का स्वागत करते हुए इस घटनाक्रम को राज्य में और देश में पार्टी के लिए अच्छी शुरुआत बताया। अरुणाचल प्रदेश की 60 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के चार विधायक हैं।
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने दावा किया कि उसके कर्मियों ने अरुणाचल प्रदेश के अपर सियांग जिले में क्षतिग्रस्त डिटे डाइम-मिंगिंग रोड की कनेक्टिविटी रिकार्ड 72 घंटे में बहाल कर दी है। सीमा सड़क कार्यबल (बीआरटीएफ) के कमांडिंग अधिकारी ओ टाकी ने कहा कि भारी वर्षा के बावजूद बीआरओ कर्मियों ने वैकल्पिक मार्ग बनाने का काम पूरा किया और 23 जून को सभी प्रकार के यातायात के लिए सड़क को खोल दिया। टाकी ने कहा कि 19 जून को सियांग नदी पर बने 80 फुट लंबे ‘बेली पुल’ के गिर जाने के बाद तूतिंग उपसंभाग जैसे सीमावर्ती क्षेत्र का संपर्क पूरी तरह कट गया था। ‘बेली पुल’ एक प्रकार का ‘पोर्टेबल (उठाकर ले जाने लायक)’ और पहले से तैयार (प्री फैब्रिकेटेड) पुल होता है। उन्होंने कहा कि बीआरओ की ब्रह्मांक परियोजना के कर्मियों ने वैकल्पिक मार्ग बनाने का काम हाथ में लिया और संपर्क बहाल कर दिया।
मिजोरम
मिजोरम से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में म्यांमार के दो नागरिकों को 1.33 करोड़ रुपये की हेरोइन के साथ गिरफ्तार किया गया। एक बयान जारी कर असम राइफल्स ने यह जानकारी दी। बयान में कहा गया है कि एक गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए असम राइफल्स के जवानों ने मिजोरम के आबकारी और नारकोटिक्स विभाग के मादक पदार्थ रोधी दस्ते के साथ मिलकर सोमवार को थुआमपुई इलाके में एक अभियान चलाया और दो तस्करों से 191 ग्राम हेरोइन जब्त की। इसमें कहा गया है कि प्रतिबंधित पदार्थ को साबुन के 15 डिब्बों में छुपाया गया था। बयान में कहा गया है कि दोनों आरोपियों और जब्त किए गए मादक पदार्थ को आगे की कानूनी कार्यवाही के लिए राज्य आबकारी और नारकोटिक्स विभाग को सौंप दिया गया। एक अन्य अभियान में, असम राइफल्स और सीमा शुल्क विभाग ने सोमवार को मिजोरम-म्यांमार सीमा पर जोखावथर में 89 लाख रुपये की तस्करी की विदेशी शराब जब्त की।
इसके अलावा, मिजोरम को उस राहत पैकेज की प्रतीक्षा है जिसकी मांग जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर के 12 हजार विस्थापित लोगों के लिए केंद्र सरकार से की गई थी। गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री जोरमथांगा की अगुवाई वाले मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) सरकार ने मई में विस्थापित लोगों के लिए 10 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की मांग की थी। मिजोरम के गृह आयुक्त और सचिव एच लालेंगमाविया ने कहा कि पर्यटन मंत्री रॉबर्ट रोमाविया और कुछ अधिकारियों ने हाल ही में दिल्ली में केंद्रीय गृह सचिव और अतिरिक्त सचिव से मुलाकात की और उनसे पैकेज को यथाशीघ्र जारी करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ''यद्यपि बैठक के दौरान गृह सचिव और अतिरिक्त सचिव की प्रतिक्रिया सकारात्मक थी, लेकिन हमें आज तक राहत पैकेज के संबंध में केंद्र से कोई संदेश नहीं मिला है।’’