जबलपुर। कुछ दिन पहले भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री अजय विश्नोई ने कोरोना से मरने वालों की वास्तविक संख्या और प्रशासन द्वारा दी जा रही जानकारी में भारी अंतर होने की बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से वर्चुअल मीटिंग के दौरान कही थी। मुख्यमंत्री ने इस पर श्री विश्नोई को बात पूरी करने से पहले ही टोक दिया। इस खबर के वायरल होने पर हड़कम्प की स्थिति भी देखी गई। दो दिन पहले यही आरोप ग्वालियर में कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ने भी मीडिया के सामने लगाए। आज बुधवार को खंडवा में पत्रकार वार्ता में जब पत्रकारों ने प्रदेश शासन के मंत्री विजय शाह से पूछा कि रोजाना 10-12 मौतें हो रहीं लेकिन प्रशासन कम क्यों बता रहा है तो मंत्री जी पत्रकार वार्ता छोड़कर चले गए। आखिर सरकार के नुमाइंदों को सच कहने से परहेज क्यों हो रहा है। इससे साफ लग रहा है कि कहीं न कहीं तो गड़बड़ है।
जबलपुर के कोरोना से मरने वालों का अंतिम संस्कार देवताल स्थित चैहानी शमशान घाट हो रहा है। बुधवार को यहां पर पूर्व महापौर सदानंद गोडबोले की मां सहित 42 शव जलाए गए। इसके अलावा 4 मेडिकल काॅलेज, 3 निजी अस्पतालों तथा एक शव मृतक के घर पर अंतिम संस्कार की बाट जोह रहे थे। वजह थी रात हो जाने और चैहानी श्मशानघाट में जगह न बचने के कारण। यहां हालात यह हैं प्रतिदिन शेड में जगह कम पड़ जाती है और लोगों को मृतक का अंतिम संस्कार खुले आसमान के नीचे करना पड़ रहा है। पूर्व महापौर सदानंद गोडबोले ने भी अपनी मां का अंतिम संस्कार बुधवार को खुले आसमान के नीचे ही करना पड़ा।
प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार जिले में 13 अप्रैल तक कुल 27 मौतें ही हुई हैं। सबसे अधिक पांच मौतें मंगलवार को हुई है। जबकि 13 दिनों में कुल संक्रमितों की संख्या 4394 पहुंच चुकी है। संक्रमण की ये संख्या इस कारण भी डराने वाली है कि कोरोना से ठीक होने वालों की संख्या 2404 है। ये सरकारी आंकड़ा है, जबकि हकीकत में इससे उलट है। इसी हकीकत को विधायक विश्नोई ने सामने लाने की कोशिश की तो उन्हें मुख्यमंत्री द्वारा टोक दिया गया। चलो एक बार यह भी मान लिया जाए कि प्रशासन जो आंकड़े बता रहा है वही सही हैं तो आखिर चैहानी में अंतिम संस्कार के लिए लाये जा रहे इतने मृतक कहां के हैं। जबकि इस हकीकत को झुठलाया नहीं जा सकता कि यहां पर केवल और केवल उन्हीं लोगों के अंतिम संस्कार संपन्न हो रहे हैं जो कोविड पीड़ित या संदिग्ध थे। संदिग्धों की संख्या को यदि एक चैथाई मान लिया जाए तो भी कोरोना से हो रही मौतों के आंकड़े प्रशासन के आंकड़ों से कहीं ज्यादा ही हैं।