जबलपुर। आज खबर मिली है कि कोरोना को लेकर लागू लॉकडाउन में भी बेरोकटोक शराब की बिक्री और तस्करी जारी है। शहर में माढ़ोताल और विजय नगर में अंग्रेजी व देशी शराब की दुकान में खिड़की से बिक्री हो रही थी। वीडियो वायरल हो गया तो पुलिस भी हरकत में आ गई और दोनों दुकानों पर कार्रवाई की। वहीं, घमापुर पुलिस और क्राइम ब्रांच ने 165 लीटर कच्ची शराब जब्त की।
यह खबर तो आम लोगों को सामान्य ही लगेगी। कुछ लोग इसमें पुलिस की कार्यवाही की तारीफ भी करेंगे लेकिन यह सवाल पूछने वाला कोई नहीं मिलेगा कि आखिर जब समूचे जिले में लॉकडाउन लगा है, घर से आम आदमी के बिना किसी ठोस कारण के निकलना प्रतिबंधित है तो ये शराब की दुकानें कैसे खुली हैं। कैसे लोग वाहनों में ढोकर शराब एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा रहे हैं। सामान्य लोगों को राशन नहीं मिल पा रहा है और पीने वालों को शराब कहां से मिल रही है।
बीते दिवस गोसलपुर में एक युवक की हत्या हो गई। कहा जा रहा है कि मृतक सहित उसके वहां मौजूद साथी किसी शराब ठेकेदार के गुर्गे थे। हत्या का आरोपी भी शराब की एक बोतल लेकर जा रहा था जिसे मरने वाले ने अपमानित किया था जिसका बदला आरोपी ने गोली मारकर लिया। यहां सवाल यह आता है कि आखिर बिना पुलिस की मूक सहमति के कोई अपराध नहीं होता तो शराब ठेकेदार के गुर्गे कैसे रास्ते में तस्करी रोकने के नाम पर पहरेदारी कर रहे थे। लगातार गश्त करने वाली पुलिस की जानकारी में इस घटना के पात्र कैसे सामने नहीं आए।
एसपी साहब, जब यह घटना हुई उसके कुछ घन्टों के अंतराल से ही तो आपने गोसलपुर, खितौला सहित आसपास के थाना क्षेत्रों में पहुंचकर पुलिसकर्मियों का हौसला बढ़ाया था। आखिर यह हौसला किस बात के लिए बढ़ाया गया था, अपराध रोकने के लिए या फिर छोटा-मोटा रोजगार करने वाले गरीब लोगों को सड़क पर रोककर अपमानित करने के लिए। कलेक्टर साहब, प्रशासन जो रोको-टोको अभियान चला रहा है उसका असर न तो शहर में ठीक ढंग से दिखाई दे रहा है और न ग्रामीण क्षेत्रों में। किसी भी सड़क पर निकल जाइये, सैकड़ों लोग आपको तफरीह करते नजर आ जाएंगे। चैराहों पर जो पुलिस तैनात है वह रोकने का नाटक तो करती है लेकिन ठोस कार्यवाही से बचती भी नजर आती है। रोको-टोको का मतलब ही अब मात्र 100 रुपये की रसीद काटने तक सीमित रह गया है। कलेक्टर या एसपी साहब आपने कभी अपने मातहतों से यह पूछने की कोशिश की है क्या, कि अतिआवश्यक कार्य से इस शहर में हजारों लोग बेखौफ कैसे घूम रहे हैं। सड़कों पर जो भी नजर आ रहा है वह सभी क्या दवा लेने जैसे जरूरी काम से ही निकले हैं।
एसपी साहब, यह तो आपको भी पता चल गया होगा कि माढ़ोताल देशी शराब की दुकान में लंबे समय से साइड में खुली खिड़की से शराब बेची जा रही थी। दुकान के बाहर एक युवक खड़ा रहता था, जो ग्राहकों को इशारा करता था। जब इस दुकान का वीडियो वायरल हुआ तो पुलिस ने सक्रियता का नाटक खेला और दुकान के अंदर से दो युवकों को पकड़ लिया। आपने संबंधित थाने के टीआई से यह पूछने की हिम्मत दिखाई क्या कि जब जिला दण्डाधिकारी ने सभी शराब दुकानें बंद रखने का आदेश दिया है तो आखिर यह कैसे और किसकी मर्जी से संचालित हो रही थी। अगर संबंधित थाना के कर्मचारियों केा अभी तक इसकी जानकारी नहीं थी तो यह विभाग के लिए शर्मनाक बात ही कही जाएगी। बहरहाल आखिर में इतना ही कहना चाहूंगा कि यदि वास्तव में कोरोना से जीतना है तो अपने मातहतों को ईमानदारी से काम करने की सलाह दे दीजिये नहीें तो आप विफल अधिकारी का कलंक लगना तय ही है।