जबलपुर। एसआईटी ने रिमांड के दौरान नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मामले में सरबजीत मोखा और उसके बेटे हरकरण से एक साथ पूछताछ की। इस दौरान मोखा ने कहा कि उसे नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है। गुजरात पुलिस की कार्यवाही की जानकारी लगने के बाद उसने इंजेक्शन नष्ट कराए थे।एसआईटी के सामने पूछताछ के बीच सिटी हाॅस्पिटल संचालक सरबजीत सिंह काफी देर तक जवाब देने की बजाय रोता रहा। बताया गया है कि 4.30 घंटे की पूछताछ के दौरान वह दो घंटे रोता रहा। हालांकि जबलपुर, रीवा व इंदौर से जुड़े आरोपियों के बयान में विरोधाभास होने के कारण पुलिस परेषान हो गई है। अब मोखा के बयानों को क्रॉस चेक करने के लिए एसआईटी एक दिन के लिए सिटी अस्पताल के दवा कर्मी देवेश को रिमांड पर लेगी।
एसआईटी सूत्रों के मुताबिक सरबजीत मोखा, उसके दवा कर्मी देवेश चौरसिया और इंदौर पुलिस के प्रोडक्शन वारंट में लिए गए भगवती फार्मा से जुड़े अधारताल आशा नगर निवासी मेडिकल संचालक सपन जैन के विरोधाभासी बयानों ने परेशानी बढ़ा दी है। एसआईटी की एक टीम ने सपन जैन से इंदौर में पूछताछ की है। इसकी सीडी भी तैयार कराई गई है। वहीं देवेश से पूर्व में पांच दिन की रिमांड में कई तरह की जानकारी सामने आ चुकी है। अब उन बिंदुओं पर मोखा से पूछताछ की जाएगी।
देवेश को रिमांड पर लेगी एसआईटी
एसआईटी अब मोखा के बयानों को क्राॅस चेक करने के लिए उसके दवा कर्मी देवेश चौरसिया को एक दिन की रिमांड पर लेने की तैयारी में है। जिससे दोनों को आमने-सामने बैठाकर उनके विरोधाभासी बयानों को क्रॉस चेक किया जाए। मोखा ने बताया कि सारा डील सपन ने किया था। दावा किया कि एक नंबर का बिल नहीं देने पर इसका भुगतान भी नहीं किया है।
सपन ने ही 15 लाख रुपए राकेश मिश्रा के माध्यम से किए हैं। सपन ने बाद में एक नंबर का बिल उपलब्ध कराने की बात कही थी। यह भी दावा किया कि वह सभी भुगतान भगवती फार्मा को करता है। जबकि पूर्व में सपन के बयान में ये बात आई थी कि रीवा के सुनील मिश्रा का नंबर देवेश व मोखा से उसे प्राप्त हुआ था। अब कौन सच बोल रहा है, इसका पता एसआईटी लगाने में जुटी है।
आठ महीने पहले ही जुड़ा है देवेश
मोखा ने बताया कि देवेश चौरसिया आठ महीने पहले ही अस्पताल से जुड़ा है। जब 500 इंजेक्शन का सौदा हुआ तब रेमडेसिविर को लेकर मारामारी थी। मेरे अस्पताल में 150 कोविड मरीज इलाजरत होते थे और इंजेक्शन प्रशासन से 20 से 50 की संख्या में मिल रहा था। ऐसे में इंजेक्शन की व्यवस्था करने का उस पर भारी दबाव था।इंदौर, गुजरात में कहीं भी नकली इंजेक्शन मामले में अस्पताल को आरोपी नहीं बनाया गया। सिर्फ जबलपुर में उसके सिटी अस्पताल का नाम घसीटा गया। जबकि आरोपियों ने पूरे देश में एक लाख नकली इंजेक्शन सप्लाई करने की बात स्वीकार की है।
सीएम के आगमन के चलते हुई एफआईआर
मोखा ने आरोप लगाया कि अचानक सीएम के आगमन और मीडिया ट्रायल के चलते उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई। उसे एनएसए में गिरफ्तार कर लिया गया। पूरे महाकौशल का इलाज उसके अस्पताल में हुआ और जब मुझे कोविड हुआ तो सेंट्रल जेल के 8 बाई 8 के कमरे में डाल दिया गया। आरोपी ने स्वीकार की है कि 28 अप्रैल को नकली इंजेक्शन लगाने के बाद रिएक्शन हुआ तो उसने उक्त स्लॉट वाले इंजेक्शन को अलग करा लिया था।
गुजरात में नकली फार्मा का खुलासा होने के बाद नष्ट कराया
एक मई को मामले का खुलासा और तीन को एफआईआर के बाद उसने देवेश को मैसेज कर इन इंजेक्शन के बारे में सपन से पूछने के लिए कहा था। हां में जवाब मिलने के बाद वह घबरा गया। जिले के कुछ प्रशासनिक और हेल्थ से जुड़े अधिकारियों से चर्चा की, लेकिन मार्गदर्शन नहीं मिला। इसके बाद मुझे कुछ नहीं सूझा तो सबूत नष्ट कराने के लिए इंजेक्शनों को घर बुलाकर गरम पानी में रैपर गलवाया और नौकरों को तोड़कर शीशी फिंकवा दिए थे।
ऑडिट से बचने रिकॉर्ड कराया मॉडिफाई
मोखा ने एसआईटी को बताया कि उसके अस्पताल को सरकारी रिकॉर्ड में कम ही इंजेक्शन मिले थे। जबकि इसकी तुलना में अधिक लोगों को इंजेक्शन लगाया गया था। कुछ इंजेक्शन की व्यवस्था परिजनों ने और कुछ उसने कराई थी। इसमें गुजरात के इंजेक्शन भी शामिल है। ऑडिट में फंसने के डर से इसका रिकॉर्ड मॉडिफाई कराया था। अपना मोबाइल सिटी अस्पताल में स्विच ऑफ कर रखने की बात बताई है। बोला कि वह जब्त करा देगा। मोबाइल की जांच करा लें।
नकली इंजेक्शन को लेकर किसी से बात नहीं
दावा किया कि उसकी कभी सपन तक से बात नहीं हुई। सिर्फ देवेश ही बात करता था। देवेश द्वारा इंदौर से इंजेक्शन मंगवाने के बावत आईडी की जरूरत थी। इसके लिए बेटे हरकरण ने अपने दोस्त प्रखर से आईडी मांगी थी। प्रखर ने भी खुद की बजाए अपने दिव्यांग नौकर की उपलब्ध कराई थी। इसे लेकर जरूर उसकी प्रखर से भी बात हुई थी। हालांकि अपनी आईडी न देने के सवाल का वह कोई जवाब नहीं दे पाया।
सपन पर देवेश को गुमराह करने का आरोप
मोखा ने बताया कि देवेश नया था और सपन ने उसे गुमराह कर नकली इंजेक्शन खरीदवा दिया। देवेश पर ही इंजेक्शन सहित दवाओं की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी थी। देवेश को विजय नगर स्थित दवा दुकानदार से इंदौर के सुनील मिश्रा का नंबर मिला था। हालांकि पहले देवेश से पूछताछ में यह बात सामने आई थी कि सपन को मोखा से ही सुनील का नंबर मिला था। इसके बाद उसने इंदौर में एमआर राकेश शर्मा के माध्यम से सुनील से संपर्क साधकर इंजेक्शन की डील कराई थी।
मेरे खराब कर्म का नतीजा है बेटे की गलत संगत
मोखा ने रोते हुए बताया कि मेरे खराब कर्म ही रहे होंगे, जो मेरा बेटा हरकरण गलत संगत में पड़ गया। वह नशा करता है। एसआईटी द्वारा गिरफ्तारी के बाद जब्त उसके मोबाइल में भी 10 से 12 कॉलगर्ल की फोटो मिली थी। जो दिल्ली में फरारी के दौरान उसके संपर्क में थीं। दावा किया कि इंजेक्शन के कार्टून मंगवाने में दोस्त की आईडी उपलब्ध कराने के अलावा उसके बेटे की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है।
स्पॉट पर ले जाएगी एसआईटी
एसआईटी मोखा को लेकर उसके प्लाट, घर व नाले के पास ले जाएगी। जहां उसने नकली इंजेक्शन तोड़वा कर फिंकवाए थे। वही सिटी अस्पताल ले जाएगी। जहां से उसका मोबाइल जब्त होगा। मोखा ने मैनेजर सोनिया खत्री के साथ अपने संबंधों के बारे में बताया कि वह उसकी गोद ली हुई बेटी है। उसका कन्यादान किया है। आर्य समाज मंदिर में उसकी शादी कराई थी। यहीं कारण है कि उस पर सबसे अधिक भरोसा करता हूं।
15 लाख रुपए के लिए साख दांव पर नहीं लगाता
मोखा का दावा है कि 15 लाख रुपए के लालच में वह अपने इतने बड़े अस्पताल की साख दांव पर नहीं लगाता। उसे सिर्फ पैसे का ही लालच होता तो कलेक्टर के एक टूक करने पर रेडक्रास में 11 लाख रुपए नहीं दे देता। कई बड़े अधिवक्ता, प्रशासनिक अधिकारी, मीडिया के लोगों के लाखों रुपए के बिल नहीं छोड़ देता। हालांकि उसके सारे तर्क खुद के बचाव की अधिक दिख रहे हैं।