
नयी दिल्ली। राजीव गाधी हत्याकांड के अभियुक्त पेरारिवलन उर्फ अरिवु को उच्चतम न्यायालय के आदेष पर रिहा कर दिया गया है। पेरारिवलन पर शिवरासन के लिए दो बैटरी सेल खरीदने का आरोप था। उसे जून 1991 में गिरफ्तार किया गया था। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया। पीठ ने कहा, ‘‘ राज्य मंत्रिमंडल ने प्रासंगिक विचार-विमर्श के आधार पर अपना फैसला किया था। अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए, दोषी को रिहा किया जाना उचित होगा।’’ संविधान का अनुच्छेद 142 उच्चतम न्यायालय को विशेषाधिकार देता है, जिसके तहत संबंधित मामले में कोई अन्य कानून लागू ना होने तक उसका फैसला सर्वोपरि माना जाता है। वहीं रिहा होने के बाद तमिलनाडु के जोलारपेट्टई में अपने घर के बाहर मीडिया से बात करते हुए ए जी पेरारिवलन ने कहा कि फैसला उनके संघर्ष की जीत है।
कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में दोषी एजी पेरारिवलन को रिहा करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार देते हुए बुधवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने ऐसे हालात पैदा किए कि अदालत को यह निर्णय देना पड़ा। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि आतंकवाद को लेकर सरकार का यह रवैया निंदनीय है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे करोड़ों भारतीय नागरिकों की भावना आहत हुई है, क्योंकि न्यायालय ने राजीव गांधी जी के एक हत्यारे को रिहा कर दिया है। तथ्य बड़े स्पष्ट हैं और जिम्मेदार मोदी सरकार है।’’ उनके अनुसार, ‘‘नौ सितंबर, 2018 को तमिलनाडु की तत्कालीन अन्नाद्रमुक-भाजपा सरकार ने उस समय के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को सिफारिश भेजी कि राजीव गांधी जी की हत्या के सभी सात दोषियों को रिहा कर दिया जाए। राज्यपाल ने कोई निर्णय नहीं लिया। उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए मामला राष्ट्रपति को भेज दिया। राष्ट्रपति ने भी ने कोई निर्णय नहीं लिया।’’