सोमवार को जबलपुर प्रवास के दौरान मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों भाजपा विधायक सुशील तिवारी ने झूठे और मनगढ़ंत करार दिया है। इस मामले में विधायक श्री तिवारी ने अपने एडवोकेट के माध्यम से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को कानूनी नोटिस भेजकर अपने आरोप वापिस लेकर खेद व्यक्त करने कहा है।
इस संबंध में आज मंगलवार को एक पत्रकार वार्ता में पनागर क्षेत्र के भाजपा विधायक सुशील तिवारी इंदू ने कहा है कि दिग्विजय सिंह आदतन एवं शरारतन झुठ बोलने, लोगों की छवि पर लांछन लगाने के लिए मशहूर रहे हैं। उनके ऐसे ही कुत्सित प्रयासों से संबंधित कई मामले व्यायालय मे विचाराधीन है। हाल ही में दिग्विजयसिंह ने हमारे प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के ऊपर भी झूठे आरोप लगाए थे, जिसे लेकर नन्यायालय ने उनके खिलाफ चार्ज फ्रेम कर दिये हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं की प्रतिष्ठा को झूठ बोलकर, भ्रम फैलाकर कलंकित करने की अपनी आदत के चलते दिग्विजयसिंह ने मेरे (इंदु तिवारी) और मेरे परिवार के सदस्यों पर आरोप लगाए हैं। मैं कानून, संविधान और न्यायालय पर विश्वास तथा श्रद्धा रखता हूँ। मैं सार्वजनिक रूप से उन्हें चुनौती देता हूं कि दिग्विजयसिंह मेरे ऊपर लगाए गए आरोपों को सिद्ध करें, अन्यथा मैं उनके खिलाफ न्यायालय में मुकदमा दायर करूंगा।
श्री तिवारी ने कहा कि वर्ष 2003 के पूर्व मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए दिग्विजयसिंह ने किस तरह प्रदेश का बंटाढार किया था. यह किसी से छिपा नहीं है। एक तरफ प्रदेश लगातार दुरावस्था में जा रहा था, तो दूसरी तरफ दिग्विजयसिंह की सरकार भ्रष्टाचार के कीर्तिमान यह रही थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि दिग्विजयसिंह सरकार सडक, बिजली, पानी जैसे मुद्दों से बजट न होने की बात कहकर पल्ला झाड़ती रही, लेकिन दूसरी तरफ तबादला उद्योग से तिजौरियां भरने का काम बराबर चलता रहा। प्रदेश के संसाधनों से अपनी जेबें भरने का खेल बराबर चलता रहा।
श्री तिवारी ने कहा कि दिग्विजयसिंह के शासन में प्रदेश में कानून व्यवस्था चौपट हो गई थी। एक तरफ सिमी जैसे आतंकी संगठन खुलेआम अपनी गतिविधियां चला रहे थे, तो दूसरी ओर नक्सली आतंक के चलते प्रदेश सरकार के मंत्री तक सुरक्षित नहीं रह गए थे।
विधायक तिवारी ने यह भी कहा कि 15 महीने की कमलनाथ सरकार में मुख्यमंत्री भले ही कमलनाथ थे, लेकिन सरकार के सारे सूत्र दिग्विजयसिंह ने अपने हाथों में ले रखे थे और पर्दे के पीछे से सरकार का संचालत वही कर रहे थे। दिग्विजयसिंह की इच्छा से ही तबादला उद्योग फिर फलने-फूलने लगा था और वल्लभ भवन में सक्रिय दलालों ने उसे दलाली का अड्डा बना दिया था। दिग्विजयसिंह की बदौलत ही कमलनाथ सरकार ने भ्रष्टाचार के रिकॉर्ड बना डाले थे।
श्री तिवारी ने यह भी कहा कि कमलनाथ सरकार के ही एक तत्कालीन मंत्री उमंग सिधार ने सार्वजनिक रूप से दिग्विजयसिंह पर माफिया और भ्रष्टाचार को संरक्षण देने के आरोप लगाए थे। लेकिन न तो उन आरोपों की किसी स्तर पर कोई जांच कराई गई है, न ही दिग्विजयसिंह ने उन आरोपों के संबंध में प्रदेश की जनता के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट करना उचित समझा। अन्य लोगों पर आरोप लगाने से पहले दिग्विजयसिंह को पहले इन आरोपों के बारे में अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा है कि मेरे ऊपर आरोप लगाने से पहले दिग्विजयसिंह को यह देखना चाहिए कि उनके करीबी और उनकी पार्टी के लोग यहां जबलपुर में ही क्या-क्या कारगुजारियां कर रहे हैं।
पत्रकार वार्ता में ग्रामीण अध्यक्ष सुभाष रानू तिवारी, मप्र पर्यटन विकास निगम अध्यक्ष विनोद गोटिया, प्रदेश मंत्री आशीष दुबे, प्रदेश कोषाध्यक्ष अखिलेश जैन, विधायक अशोक रोहाणी, अजय विश्नोई, जिप अध्यक्ष संतोष बरकडे, पूर्व मंत्री शरद जैन, प्रतिभा सिंह, प्रदेश सह मीडिया प्रभारी प्रशांत तिवारी, ग्रामीण जिला मीडिया प्रभारी कुमार नीरज, नगर सह मीडिया प्रभारी रवि शर्मा उपस्थित थे।