मध्य प्रदेश पुलिस की दो महिला अधिकारी—CSP पूजा पांडेय (सिवनी) और CSP हिना खान (ग्वालियर)—इन दिनों सोशल और मेनस्ट्रीम मीडिया की सुर्खियों में हैं, लेकिन वजहें बिलकुल विपरीत हैं।
सिवनी की पूजा पांडेय पर हवाला कारोबारियों के ₹2.96 करोड़ हड़पने का गंभीर आरोप है। 8-9 अक्टूबर की रात सिलादेही जंगल में कटनी से जालना जा रही रकम की चेकिंग के दौरान उन्होंने अपने अधीनस्थ पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर नकदी अपने कब्जे में ले ली। मामले के उजागर होने पर DGP कैलाश मकवाना के आदेश पर उन्हें निलंबित कर दिया गया। पूजा पांडेय, टीआई अर्पित भैरम समेत 11 पुलिसकर्मियों के खिलाफ डकैती, अपहरण और मारपीट जैसी गंभीर धाराओं में FIR दर्ज की गई और उन्हें जेल भेजा गया। पुलिस का आरोप है कि उन्होंने रकम जब्त करने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित नहीं किया।
वहीं, ग्वालियर की CSP हिना खान ने जातीय तनाव और विवादित बयान के बीच सूझबूझ का परिचय दिया। एडवोकेट अनिल मिश्रा की बाबा साहेब आंबेडकर पर विवादित टिप्पणी के बाद दलित संगठनों ने आंदोलन की चेतावनी दी। इस तनाव के बीच हिना खान ने अपने फैसले और व्यवहार से माहौल को शांत किया। जब उन पर ‘सनातन विरोधी’ होने का आरोप लगा, तो उन्होंने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाकर यह संदेश दिया कि वह किसी धर्म की विरोधी नहीं हैं। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और लोग उनकी निष्पक्षता और संवेदनशीलता की प्रशंसा कर रहे हैं। प्रशासन ने जिले में 4000 पुलिस बल तैनात कर आंदोलन पर रोक भी लगा दी।
इस प्रकार, मध्य प्रदेश की दो महिला CSP एक विवाद की वजह से बदनाम हुईं, जबकि दूसरी समझदारी और सूझबूझ से वाहवाही बटोरने में सफल रहीं।